तापमान जब 3 से 4 डिग्री होता है तब उसमें इंसान ठिठुर जाता है. वहीं यदि माइनस 0 या माइनस 2-3 होने पर बर्फबारी की संभावना होती है. ये तापमान आपको ठिठुरने पर मजबूर करने के लिए काफी है. ऐसे में आपने कभी कल्पना की है कि माइनस 80 या 100 कितना होगा और उस स्थिति में मौसम कैसा होगा. साथ ही क्या ऐसी जगह पर कोई इंसान जिंदा भी रह सकता है. यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं.
यहां है -98 डिग्री तापमान में रहते हैं लोगदरअसल हम बात कर रहे हैं अंटार्कटिका की. यहां तापमान इतना गिर जाता है कि कई बार -98 डिग्री तक भी पहुंच जाता है. ऐसे में आमलोग जहां जाने से डरते हैं वहींं कुछ लोग ऐसे हैं जो यहीं पर रहते हैं. जिसमें ज्यादातर वैज्ञानिक या शोध करने वाले टूरिस्ट शामिल हैं. यहां कोई गांव, शहर या इंडस्ट्री नहीं है, क्योंकि अंटार्कटिका में दुनियाभर के वैज्ञानिक आते हैं इसलिए इसका नाम 'द इंटरनेशनल कॉन्टिनेंट' भी रखा गया है. दिलचस्प बात ये है कि अंटार्कटिका में सर्दियों के दौरान उजाला नहींं आता, यानी यहां पूरी सर्दी अंधेरा रहता है. ऐसे में यहां रहना काफी मुुश्किल काम हो जाता है.
क्यों इतना माइनस रहता है तापमानअब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यहां का तापमान इतना कम क्यों रहता है. तो बता दें कि इसकी वजह बेहद सूखी हवाओं का चलना है. दक्षिण ध्रुव स्थित अंटार्कटिका का क्षेत्रफल 14 करोड़ 20 ललाख वर्ग किलोमीटर है. ये कुल भूभाग का 9.4 फीसदी है. इसे दुनिया का सबसे ठंडा क्षेत्र भी कहा जाता है, जिसकी रिसर्च करने दुनियाभर से साइंटिस्ट यहां आते हैं. बेहद दिलचस्प बात ये है कि इस क्षेत्र पर किसी का अधिकार नहीं है यानी कोई भी देश इस क्षेत्र पर अधिकार नहीं रखता है. हालांकि ज्यादातर देशों ने यहां रिसर्च के लिए रिसर्च स्टेशन बना लिए हैं. जिसके जरिए इस क्षेत्र पर उन देशों के वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं.
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