Human Brain Vs AI: जैसे-जैसे साइंस और टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे इंसान की इनपर निर्भरता भी बढ़ती जा रही है. साथ ही यह निर्भरता इंसान की दुश्मन भी बनती जा रही है. एक सर्वे में यह बात सामने निकलकर आई है कि हमारे कामों को आसान बनाने वाली टेक्नोलॉजी ही आगे चलकर हमारे दिमाग की दुश्मन बनेगी. वैज्ञानिकों की एक टीम ने दिमाग के दुश्मन को भी ढूंढा है और बताया कि आने वाले महज 12 सालों में ही इंसान सोचने-समझने की शक्ति खो देंगे. रिसर्च में उन्होंने इसकी वजह भी बताई है. आइए जानते हैं...


2035 तक बदल जायेगी तस्वीर


अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च की ओर एक सर्वे कराया गया, जिसमें सामने आया है कि अगले 12 साल में AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों के सोचने-समझते की क्षमता को खत्म कर देगा. ये टेक्नोलॉजी इंसानों को इस हद तक प्रभावित करेगी कि वो कोई निर्णय लेने में भी खुद को अक्षम महसूस करेंगे. रिसर्च में दावा किया गया है कि आने वाले 12 साल यानी 2035 तक मशीन, बॉट, सिस्टम का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा. 


आगे बढ़ने के लिए लेनी होगी AI की मदद


रिसर्च के मुताबिक, लोगों को खुद को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल उपकरणों और AI का प्रयोग करना ही होगा, जिससे उनका व्यक्तिगत और निर्णय लेने की क्षमता खत्म होती जाएगी. आने वाले समय में व्यापार, सरकार और सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह से ऑटोमैटिक हो जाएगी, जिससे इंसानी सोच और समझ कमजोर होती जायेगी.


बहुत से लोग अभी से AI पर निर्भर हो रहे


अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च के इस सर्वे में 540 विशेषज्ञों को शामिल किया गया, रिसर्च की इस रिपोर्ट में AI की अहमियत और इससे इंसानों को होने वाले फायदे के बारे में भी बताया गया है. हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि ज्यादातर कंपनियां या संगठन AI के सापेक्ष इंसानी निर्णयों को तवज्जो नहीं देंगे. कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बहुत सारे लोग तो अभी से अपने दैनिक निर्णय लेने के लिए AI पर निर्भर हैं.


तकनीकी निर्णय नहीं ले पाएंगे इंसान


सर्टेन रिसर्च के संस्थापक बैरी चुडाकोव के अनुसार, 2035 तक मशीन, बॉट्स सिस्टम और इंसान के बीच तर्क-वितर्क की स्थिति पैदा हो सकती है. चुडाकोव ने दावा किया कि आने वाले समय में इंसान तकनीक आधारित कोई भी निर्णय नहीं ले सकेंगे, लोगों को पूरी तरह से AI पर ही निर्भर रहना होगा.


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