समुद्र के गहरे नीले विस्तार में तैरते विशालकाय युद्धपोत सिर्फ जहाज नहीं, बल्कि चलते-फिरते हवाई ठिकाने हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह विचार आया कहां से? कैसे एक साधारण मालवाहक जहाज को उड़ने वाले विमानों के ठिकाने में बदला गया? एयरक्राफ्ट कैरियर की कहानी उतनी ही रोमांचक है जितनी समुद्र की लहरों में छिपी गहराई है. यह कहानी है उस सोच की जिसने 20वीं सदी के युद्धों की दिशा बदल दी और नौसैनिक रणनीतियों को हमेशा के लिए परिभाषित कर दिया. चलिए जानें.

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कहां से आया आइडिया

एयरक्राफ्ट कैरियर की शुरुआत दरअसल एक प्रयोग से हुई थी. पहले विश्व युद्ध के दौरान, जब यह महसूस किया गया कि आकाश से हमला समुद्र में युद्ध का नया चेहरा बन सकता है, तब जहाजों को इस मिशन के लिए तैयार करने की सोच ने जन्म लिया. इसी सोच ने 1912 में अमेरिका के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस लैंगली (USS Langley CV-1) को जन्म दिया. यह जहाज पहले यूएसएस जुपिटर के नाम से एक कोलियर (कोयला ढोने वाला जहाज) था.

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कब बना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर युद्धपोत

1919 में अमेरिकी नौसेना ने इसे संशोधित कर दुनिया के पहले विमानवाहक पोत में बदल दिया. जुपिटर का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि उसका ढांचा मजबूत था और उसके भीतर विशाल कार्गो होल्ड थे, जिन्हें आसानी से हैंगर में बदला जा सकता था. यूएसएस लैंगली ने यह साबित कर दिया कि समुद्र में विमान उड़ाने और उतारने का विचार अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि हकीकत है. यही वह पल था जब आधुनिक नौसेना के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई.

जब दुनिया ने एयरक्राफ्ट कैरियर में बदले जहाज

20वीं सदी के शुरुआती वर्षों में दुनिया भर की नौसेनाओं ने युद्धकालीन जरूरतों के अनुसार अपने जहाजों को एयरक्राफ्ट कैरियर में बदलना शुरू किया. पुराने युद्धपोत, क्रूजर और मर्चेंट लाइनर धीरे-धीरे उन प्लेटफॉर्म में तब्दील हो गए जिनसे विमान उड़ान भर सकते थे और उतर सकते थे. इन शुरुआती प्रयोगों ने ही आगे चलकर एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना की सबसे अहम ताकत बना दिया.

जापान और अमेरिका बने समुद्री राजा

1922 की वाशिंगटन नौसेना संधि ने नए युद्धपोतों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे एयरक्राफ्ट कैरियर के विकास का रास्ता खुल गया. कई देशों ने अपने पुराने युद्धपोतों को तोड़ने के बजाय उन्हें नए रूप में ढालना शुरू किया. जापान ने अकागी और कागा जैसे पोत तैयार किए, वहीं अमेरिका ने लेक्सिंगटन और साराटोगा नामक शक्तिशाली एयरक्राफ्ट कैरियर बनाए, जिनकी रफ्तार, क्षमता और युद्धक ताकत ने उन्हें समुद्र का राजा बना दिया.

ब्रिटेन ने बनाया खास जहाज

ब्रिटेन ने भी इसमें पीछे नहीं रहा. रॉयल नेवी का HMS आर्गस 1918 में तैयार हुआ और यह पहला ऐसा जहाज था जिसमें पूरी लंबाई वाला फ्लाइट डेक था. इस डिजाइन ने टेकऑफ और लैंडिंग दोनों को आसान बना दिया. इसे नौसेना इंजीनियरिंग की दुनिया में क्रांतिकारी खोज माना गया था.

मानवीय मिशनों का केंद्र बना युद्धपोत

इसके बाद एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि कूटनीति, समुद्री सुरक्षा और मानवीय मिशनों का भी केंद्र बन गया. द्वितीय विश्व युद्ध तक आते-आते ये पोत किसी भी देश की नौसैनिक ताकत की पहचान बन चुके थे. आज भी दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र अपनी समुद्री रणनीति इन्हीं तैरते हवाई अड्डों पर टिका रहे हैं.

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