जब कोई परमाणु विस्फोट होता है, तो उसकी एक सेकंड भर की धमाके की गूंज सदियों तक रह जाती है. हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट लोगों को आज भी भूले हैं, लेकिन फिर भी दुनिया में परमाणु महाशक्ति बनने की दौड़ लगी हुई है. इसी को लेकर अक्सर यह सवाल भी होता है कि आखिर एक परमाणु बम बनाने के लिए कितनी सामग्री चाहिए और किन चीजों की जरूरत होती है? यह सवाल जिज्ञासा से भरा है, लेकिन जवाब सरल नहीं है. आइए समझ लेते हैं.
कैसे काम करता है परमाणु बम?
परमाणु हथियारों की भयावहता और उनसे जुड़ी जिज्ञासा दोनों ही पुरानी हैं. विज्ञान के स्तर पर, नाभिकीय हथियार मुख्यतः दो तरीकों से काम करते हैं: नाभिकीय विखंडन (fission) और संलयन (fusion). विखंडन में भारी नाभिक, जिनके रूप में विशिष्ट रूप से कुछ पदार्थ आते हैं, यदि उपयुक्त परिस्थिति में हों तो उनके नाभिक टूटते हैं और बहुत बड़ी ऊर्जा जारी होती है. संलयन में हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं और उससे भी कहीं अधिक ऊर्जा निकलती है.
क्या है परमाणु बम?
परमाणु बम एक अत्यंत शक्तिशाली विस्फोटक उपकरण है जो परमाणु प्रतिक्रिया से भारी ऊर्जा निकालता है. इसका मूल सिद्धांत यह है कि अणु के भीतर मौजूद नाभिकों में परिवर्तन कराकर अचानक बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त कर दी जाती है, या तो नाभिकों को तोड़कर (विखंडन) या हल्के नाभिकों को जोड़कर (संलयन). इन प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप तेज़ दबाव-लहर, भीषण गर्मी और रेडियोधर्मी अवशेष पैदा होते हैं, जो तत्काल और दीर्घकालिक दोनों तरह के विनाश का कारण बनते हैं.
साधारण शब्दों में कहें तो, ऐसे हथियारों में विशेष प्रकार के रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं जिनके नाभिकों को किसी उपयुक्त परिस्थिति में उत्तेजित करने पर वे एक शृंखला प्रतिक्रिया शुरू कर देते हैं. यही शृंखला प्रतिक्रिया बहुत बड़ी ऊर्जा और खतरनाक विकिरण छोड़ देती है, जो जीवन, सम्पत्ति और पर्यावरण के लिए गंभीर रूप से घातक होती है.
परमाणु बम किन चीजों से बनता है?
परमाणु बम बनाने के लिए मुख्यत: दो चीजों यूरेनियम-233 और प्लुटोनियम-239 की जरूरत होती है. जब यूरेनियम और प्लुटोनियम का परमाणु विखंडन होता है, तो उससे ऊर्जा निकलती है. अब परमाणु के केंद्र में न्यूट्रॉनों के टकराने से नाभिक टूट जाता है और बहुत बड़ी ऊर्जा निकलती है. इस घटना को नाभिकीय विखंडन कहते हैं. जब ऐसा किसी हथियार में होता है तो विस्फोट के समय तीव्र विकिरण फैला देता है, जो जीवों और पर्यावरण दोनों को लंबे समय तक प्रभावित करता है. ये रेडियोएक्टिव किरणें कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं और स्वास्थ्य पर गंभीर, दीर्घकालिक परिणाम छोड़ सकती हैं.
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