कहा जाता है कि अगर कोई बोल रहा है कि उसे मौत से डर नहीं लगता है तो या तो वो आपसे झूठ बोल रहा है, या फिर गोरखा है. क्योंकि गोरखा सिपाहियों की वीरता की कहानी देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बहुत मशहूर है. यहां के सिपाहियों की वीरता इतनी कि भारत की गुलामी के वक्त अंग्रेज भी उनके आगे नतमस्तक हो गए थे और बाकायदा उनके नाम पर एक रेजिमेंट बना दी थी. पाकिस्तान और चीन तक उनको अपनी सेना में शामिल करना चाहते थे. चलिए आपको बताएं कि किन देशों की सेनाओं में गोरखाओं की भर्ती होती है.
भारत में कितने गोरखा रेजिमेंट
भारतीय सेना में गोरखा रेजिमेंट का नाम आपने जरूर सुना होगा. इस सेना में नेपाल के युवाओं की भर्ती होती है. नेपाल के गोरखा तो अनिवार्य तौर पर भारत की सेना में भर्ती होते ही हैं. भारतीय सेना में सात गोरखा रेजीमेंट हैं, जिनसे 43 बटालियनें बनती हैं. भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल के नागरिक भारतीय सेना में शामिल हो सकते हैं.
इनके लिए खासतौर से गोरखा रेजिमेंट बनाई गई है और यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. भारत में इन रेजीमेंट में भर्ती किए जाने वाले गोरखा उत्तराखंड, दार्जलिंग, हिमाचल प्रदेश, असम और मेघालय से होते हैं.
किन देशों की सेनाओं में होते हैं भर्ती
नेपाल के नागरिक भारत और यूके की सेना में जवान और अधिकारी के तौर पर नियुक्त किए जाते हैं. नेपाल का कोई भी नागरिक भारत की राष्ट्रीय रक्षा एकेडमी या संयुक्स रक्षा सेवा परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं. आजादी के बाद पाकिस्तान ने भी गोरखाओं को अपनी सेना में शामिल होने का मौका दिया था, वहीं साल 1962 युद्ध के बाद चीन ने भी गोरखाओं को अपनी सेना में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन नेपाल ने साफ तौर से मना कर दिया था.
नेपाल के गोरखाओं की भर्ती के लिए भारत, यूके और नेपाल संयुक्त रूप से भर्ती रैली की तारीख तय करते हैं और उसी दिन नेपाल में ही तीनों देशों की ओर से लिखित और शारीरिक परीक्षा आयोजित होती है. जो गोरखा इस परीक्षा को पास करते हैं, वे ही तीनों देशों की सेना में भर्ती किए जाते हैं.
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