जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से एक के बाद उनके फैसले ने दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाला है. पिछले कई महीनों से वे दुनिया के कई देशों पर टैरिफ बम फोड़ चुके हैं. अमेरिका ने जहां भारत को पहले राहत दे रखी थी, लेकिन अब पहले की तरह हालात नहीं रह गए हैं. अमेरिका, रूस संग भारत की दोस्ती पर चिढ़ा हुआ है. ट्रंप नहीं चाहते हैं कि भारत, रूस से तेल की खरीद करे. इसीलिए ट्रंप ने भारतीय सामान पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ के साथ-साथ जुर्माना लगाने की बात कही है. लेकिन क्या आपको यह पता है कि आखिर रूस के पास इतना सस्ता तेल कैसे है, बाकी देश इससे मुकाबला नहीं कर पाते हैं.
रिपोर्ट की मानें तो अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे तो कच्चे तेल की कीमतें 200 अमेरिकी डॉलर प्रति डॉलर तक बढ़ सकती है. इस वजह से दुनियाभर के तेल उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंच सकता है. यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के बावजूद कभी भी रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
रूस में इतना सस्ता तेल क्यों
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. रूस में तेल उत्पादित होता है, इसलिए वहां तेल सस्ता है. रूस में दैनिक उत्पादन लगभग 95 लाख बैरल तेल है, जो कि वैश्विक मांग का 10% है. रूस दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश भी है, जो कि हर दिन 45 लाख बैरल कच्चा तेल और 23 लाख बैरल रिफाइन तेल दूसरे देशों को भेजता है. यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद यह डर था कि रूसी तेल बाजार से बाहर हो सकता है. इस वजह से मार्च 2022 में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 137 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हुई थी.
अन्य देश क्यों नहीं कर पाते मुकाबला
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था. इस वजह से रूस को अपने लिए तेल बेचना बहुत मुश्किल हो गया था. इसीलिए रूस को उन देशों को कम रेट पर तेल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो कि प्रतिबंधों में शामिल नहीं हैं, जैसे कि भारत. रूस के पास तेल उत्पादन की लागत कुछ क्षेत्रों में कम है. इसलिए वह कम लागत पर भी तेल बेचकर मुनाफा कमा सकता है. पश्चिमी देशों से प्रतिबंध की वजह से रूस को नए बाजारों की तलाश करनी पड़ रही है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
साल 2022 में जब ग्लोबल मार्केट से रूसी तेल के बाहर होने की बात चल रही थी, उस वक्त ब्रेंट क्रूड के दाम 137 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर पहुंच गए थे. सूत्रों की मानें तो इस चुनौतीपूर्णं माहौल के बीच में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, जो कि 85% आयात पर निर्भर है. रूस किफायती दामों में भारत को तेल मुहैया कराता है. अगर इस स्थिति में भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो कच्चे तेल के दाम में तेजी आने की पूरी संभावना है.
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