क्रिकेट के तीन मुख्य प्रारूप टेस्ट, वनडे और टी20 एक-दूसरे से अलग हैं और इनकी रणनीतियां, समय सीमा और खेल का अंदाज भी अलग होता है. लेकिन इन फॉर्मेट्स में शानदार प्रदर्शन अक्सर खिलाड़ियों के लिए नए अवसर भी खोल देता है. अगर कोई खिलाड़ी वनडे मैचों में बेहतरीन खेल दिखाता है, तो उसके टेस्ट टीम में चयन होने की संभावना बढ़ जाती है. अक्सर क्रिकेट फैंस के मन में यह सवाल उठता है कि किसी टीम को आखिर कितनी जीत हासिल करने के बाद टेस्ट मैच खेलने का मौका मिलता है.

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बहुत से लोगों को लगता है कि यह किसी टीम की जीत-हार या प्रदर्शन पर निर्भर करता है, लेकिन असलियत इससे थोड़ी अलग है. चलिए जानें कि इसके लिए आईसीसी के क्या नियम हैं.

क्या कहता है आईसीसी का नियम?

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 इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के नियमों के मुताबिक टेस्ट क्रिकेट खेलने का अधिकार सिर्फ फुल मेंबर देशों को ही दिया जाता है. यानि टेस्ट दर्जा किसी टीम के मैच जीतने से नहीं बल्कि उनकी क्रिकेट स्ट्रक्चर, सुविधाओं और मानकों पर तय होता है. टेस्ट क्रिकेट को दुनिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रारूप के रूप में जाना जाता है. पांच दिन चलने वाले इन मुकाबलों में खिलाड़ियों की तकनीक, फिटनेस और मानसिक मजबूती की असली परीक्षा होती है.

लेकिन हर टीम को यह मौका नहीं मिलता है. इसके लिए ICC की सदस्यता व्यवस्था में दो स्तर बनाए गए हैं, फुल मेंबर और असोसिएट मेंबर. केवल फुल मेंबर ही टेस्ट मैच खेल सकते हैं, जबकि असोसिएट सदस्य देशों को वनडे या टी20 इंटरनेशनल मैचों की अनुमति होती है.

किन मानदंडों को देखता है आईसीसी

किसी टीम को टेस्ट दर्जा दिलाने के लिए ICC कई मानदंड देखता है. इसमें सबसे पहले उस देश की घरेलू क्रिकेट संरचना, स्टेडियमों की गुणवत्ता, क्रिकेट बोर्ड की आर्थिक स्थिति, खिलाड़ियों की संख्या और प्रदर्शन, सरकार का समर्थन और क्रिकेट का स्थानीय स्तर पर विकास शामिल होता है. अगर कोई देश इन सभी पहलुओं पर मजबूत साबित होता है, तभी उसे टेस्ट खेलने की मंजूरी दी जाती है.

पहले क्या थी परंपरा

रिपोर्ट्स की मानें तो पहले यह परंपरा थी कि किसी टीम को कम से कम पांच टेस्ट खेलने वाले देशों को हराना पड़ता था, लेकिन यह नियम कभी आधिकारिक रूप से लागू नहीं हुआ. यह बस एक अनौपचारिक मान्यता थी, ताकि यह तय हो सके कि टीम टेस्ट खेलने लायक है या नहीं. दरअसल, अफगानिस्तान और आयरलैंड जैसे देशों को 2018 में टेस्ट दर्जा दिया गया, जबकि उन्होंने उस समय तक सीमित ओवरों के क्रिकेट में कुछ ही जीतें दर्ज की थीं. 

यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि टेस्ट मैच खेलने का मौका किसी देश को जीत की गिनती से नहीं बल्कि क्रिकेट की बुनियाद पर मिलता है. जब कोई टीम हर स्तर पर खुद को तैयार कर लेती है, तभी उसे क्रिकेट के सबसे बड़े मंच पर उतरने की इजाजत मिलती है.

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