आज के समय में नशे के तरीकों और प्रकारों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. पहले जहां गांजा, चरस और अफीम जैसे पारंपरिक नशे ज्यादा प्रचलित थे, वहीं अब तकनीक के साथ-साथ नशे के नए और ज्यादा खतरनाक रूप सामने आ रहे हैं. इन्हीं में से एक हाइड्रोपोनिक वीड है, जिसे हाइड्रोपोनिक गांजा भी कहा जाता है.

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यह नशा न सिर्फ अपने असर में तेज है, बल्कि कीमत के मामले में भी बेहद महंगा माना जाता है. आम गांजा जो पहाड़ों या खेतों में उगाया जाता है, उसके मुकाबले हाइड्रोपोनिक वीड कई गुना ज्यादा शक्तिशाली और खतरनाक होता है. यही वजह है कि युवाओं के बीच इसका क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन कानून और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से यह गंभीर खतरा बन चुका है. तो आइए जानते हैं कि हाइड्रोपोनिक वीड आखिर है क्या, यह सामान्य गांजा और चरस से कैसे अलग है और इसे इतना महंगा नशा क्यों माना जाता है. 

हाइड्रोपोनिक वीड क्या होता है?

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हाइड्रोपोनिक वीड दरअसल हाइड्रोपोनिक खेती से उगाया गया गांजा होता है. इस खेती में पौधों को मिट्टी में नहीं उगाया जाता, बल्कि पानी में घुले खास पोषक तत्वों के सहारे उगाया जाता है. पौधों की जड़ों को सीधे पानी, पोषण और ऑक्सीजन मिलती है. इस तकनीक से पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और उनमें मौजूद नशीला तत्व टीएचसी (THC) सामान्य गांजे की तुलना में कहीं ज्यादा होता है. इसी वजह से इसका असर भी ज्यादा तेज और खतरनाक होता है. 

गांजा और चरस से हाइड्रोपोनिक वीड कितना अलग?

गांजा मिट्टी में प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है, चरस गांजे के पौधे से निकला गाढ़ा रेजिन है. लेकिन हाइड्रोपोनिक वीड बिना मिट्टी, कंट्रोल्ड माहौल में उगाया जाता है.गांजे के नशा थोड़ा हल्का होता है. हालांकि चरस गांजे से ज्यादा असरदार है. लेकिन हाइड्रोपोनिक वीड सबसे ज्यादा नशीला होता है. सामान्य गांजा और चरस सस्ता होता है. वहीं हाइड्रोपोनिक वीड बेहद महंगा होता है. 

कितना महंगा नशा है हाइड्रोपोनिक वीड

हाइड्रोपोनिक वीड को उगाने में आधुनिक तकनीक, मशीनें, नियंत्रित तापमान, खास लाइट्स और महंगे पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इसकी खेती खुले खेतों में नहीं बल्कि खास लैब या फार्म में होती है. इसी कारण इसकी लागत बहुत ज्यादा होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि एक किलो हाइड्रोपोनिक वीड की कीमत करीब एक करोड़ रुपये तक बताई जाती है.  यही वजह है कि इसे अमीरों का नशा भी कहा जाता है. 

कहां होता है इसका ज्यादा उत्पादन?

दुनिया के कई देशों में इसका उत्पादन होता है, लेकिन थाईलैंड इसका बड़ा केंद्र माना जाता है. वहां इसका उत्पादन इतनी बड़ी मात्रा में होता है कि कुछ लोग इसे गरीबों का कोकीन भी कहते हैं. इसके अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कुछ पश्चिमी देशों में भी इसकी खेती की जाती है. भारत में इसकी मांग बढ़ने के कारण इसे चोरी-छिपे बैंकॉक, हांगकांग जैसे शहरों से तस्करी करके लाया जाता है. अक्सर रेव पार्टियों और हाई-प्रोफाइल इलाकों में इसका यूज किया जाता है. 

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