सोचिए, जब आप अपने फोन से किसी दोस्त को कॉल लगाते हैं, तो आवाज कैसे उस तक पहुंचती है? या जब आप कोई फोटो भेजते हैं, तो वह सेकंडों में उसके मोबाइल पर कैसे दिख जाती है? यह जादू नहीं, बल्कि मोबाइल नेटवर्क की तकनीक है. हर कॉल, मैसेज या इंटरनेट डेटा रेडियो तरंगों के जरिए आपके फोन से निकलकर टावर तक जाता है, वहां से इंटरनेट और ऑपरेटर नेटवर्क के जरिए दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है. आइए इस सफर को आसान और रोचक तरीके से समझते हैं.
कैसे काम करता है मोबाइल नेटवर्क
मोबाइल नेटवर्क रेडियो तरंगों पर काम करता है. जब आप कॉल करते हैं, आपका फोन सिग्नल को रेडियो तरंगों में बदलकर सबसे नजदीकी मोबाइल टावर तक भेजता है. यह टावर जिसे बेस स्टेशन भी कहते हैं, उस क्षेत्र के सभी फोन से सिग्नल लेता और वापस भेजता है. यही कारण है कि इसे सेल कहा जाता है. एक शहर में जितने अधिक टावर होंगे, कवरेज उतना ही अच्छा होगा.
डिजिटली होता है कन्वर्ट
जब सिग्नल टावर तक पहुंचता है, तो यह बेस स्टेशन ऑपरेटर के नेटवर्क से जुड़ता है. नेटवर्क ऑपरेटर सिग्नल को सही दिशा में भेजता है. अगर कॉल स्थानीय है तो सीधे पास के टावर तक सिग्नल पहुंचता है, अगर दूर है तो इंटरनेट या अन्य नेटवर्क के माध्यम से दूसरे शहर या राज्य तक पहुंचता है. इस बीच, डेटा पैकेट, कॉल या मैसेज डिजिटल रूप में कन्वर्ट होते रहते हैं, ताकि वे सुरक्षित और तेजी से ट्रांसमिट हो सकें.
रेडियो तरंगे करती हैं काम
अगर आप डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे कोई फोटो भेजना या वीडियो स्ट्रीम करना तो मोबाइल सिग्नल को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जाता है. ये पैकेट रेडियो तरंगों के जरिए आपके फोन से टावर तक और फिर इंटरनेट नेटवर्क के माध्यम से रिसीवर तक जाते हैं. रिसीवर का फोन फिर इन पैकेट्स को जोड़कर मूल डेटा यानी फोटो या वीडियो दिखाता है.
सिम कार्ड की भूमिका
हर मोबाइल टावर का कवरेज क्षेत्र सेल कहलाता है. एक शहर में कई टावर होते हैं, और ये एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं. अगर आप किसी जगह से दूसरी जगह जाते हैं, तो कॉल अपने आप एक टावर से दूसरे टावर तक ट्रांसफर हो जाती है, इसे हैंडऑवर कहते हैं. यही कारण है कि आप चलते-चलते भी कॉल को बिना रुके जारी रख सकते हैं. मोबाइल नेटवर्क में SIM कार्ड भी अहम भूमिका निभाता है. SIM कार्ड आपके मोबाइल को पहचानता है और यह बताता है कि आप किस ऑपरेटर के ग्राहक हैं. SIM में आपका यूजर डेटा और नेटवर्क जानकारी होती है, जिससे ऑपरेटर जान पाता है कि किस सिग्नल को आपके फोन तक पहुंचाना है.
आधुनिक मोबाइल नेटवर्क
आधुनिक मोबाइल नेटवर्क जैसे 4G और 5G डेटा ट्रांसमिशन के लिए और तेज तकनीक का उपयोग करते हैं. वे रेडियो तरंगों की उच्च फ्रिक्वेंसी और एन्क्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल करते हैं ताकि कॉल और इंटरनेट डेटा सुरक्षित और कम लेटेंसी के साथ ट्रांसमिट हो.
लंबी होती है प्रक्रिया
यानी, हर बार जब आप कॉल, मैसेज या इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, तो वह एक लंबी और जटिल यात्रा तय करता है. फोन से निकलते ही यह रेडियो तरंगों में बदलता है, टावर तक पहुंचता है, ऑपरेटर नेटवर्क से गुजरता है, फिर दूसरे टावर तक और अंत में रिसीवर तक जाता है. यह सब सेकंडों में होता है, और हमें बस फोन पर आवाज या डेटा दिखता है.
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