अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह दावा किया है कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण कर रहा है. लंबे समय से इस बात को लेकर संदेह जताया जा रहा था कि पाकिस्तान अपनी परमाणु गतिविधियों को आगे बढ़ा सकता है, और अब ट्रंप ने इसे सार्वजनिक रूप से मान्यता दे दी है. उन्होंने यह जानकारी CBC न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में दी, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति पर भी बात की. 

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एक छोटा-सा परमाणु परीक्षण सुनने में नॉर्मल लग सकती है, लेकिन ऊर्जा और ताकत के नजरिए से यह बड़ी गिनती में आती है और यही ऊर्जा जमीन में तरंगें भेजती है, जिन्हें भूकंप की तरह देखा जा सकता है. चलिए जानें कि परमाणु परीक्षण से कितनी ऊर्जा निकलती है, जिससे धरती कांपती है.

कितने विस्फोट पर कितना भूकंप आता है?

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परमाणु बम में बहुत सारी ऊर्जा जमा होती है. इसे आम तौर पर TNT के टन या किलो-टन में मापा जाता है. जैसे 1 टन TNT = बहुत सारा ऊर्जा (लगभग 4 अरब जूल), और 1 किलो-टन TNT = 1000 टन TNT की ऊर्जा. जब यह ऊर्जा जमीन में फैलती है, तो यह भूकंपीय तरंगों जैसी झटके पैदा कर सकती है. वैज्ञानिक इसे मैग्निट्यूड के हिसाब से मापते हैं. 

एक छोटे टन-स्तरीय विस्फोट से जमीन में हल्की कंपकंपी आती है, जैसे मैग्निट्यूड 3 कहते हैं. 1 किलो-टन वाला छोटा परमाणु विस्फोट ≈ मैग्निट्यूड 5, यानी थोड़ा ज्यादा झटका महसूस हो सकता है. बड़े बम जैसे हिरोशिमा वाला (लगभग 15 किलो-टन) ≈ मैग्निट्यूड 6 तक की तरंगे आ सकती हैं, जो दूर-दूर तक महसूस हो सकती हैं.

छोटे विस्फोट से कितनी कांपेगी जमीन

लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि सभी ऊर्जा सीधे जमीन में नहीं जाती है. सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही भू-तरंगों में बदलता है. बाकी ऊर्जा हवा, आग और विस्फोट में नष्ट हो जाती है. इसलिए छोटे टेस्ट से भूकंप जैसी बड़ी तबाही नहीं होती है. छोटे परमाणु परीक्षण (जैसे कुछ टन या कुछ किलो-टन) से केवल छोटे झटके महसूस होते हैं. इन्हें केवल सिस्मोग्राफ जैसे वैज्ञानिक यंत्र ही पकड़ सकते हैं. बड़े टेस्ट में ही यह कंपकंपी दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचती है.

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि परमाणु विस्फोट और भूकंप की झटके अलग होते हैं. भूकंप प्राकृतिक होता है और उसकी तरंगें अलग प्रकार की होती हैं. परमाणु टेस्ट की तरंगें अलग होती हैं, इसलिए विशेषज्ञ आसानी से पहचान सकते हैं कि यह प्राकृतिक भूकंप नहीं, बल्कि टेस्ट था.

बड़े टेस्ट में कितनी तबाही

छोटे परमाणु विस्फोट से जमीन में कंपकंपी आती है, लेकिन बहुत हल्का कंपन होता है. जितना बड़ा विस्फोट, उतनी ताकत और दूर तक असर होता है. भूकंप जैसी तबाही सिर्फ बड़े टेस्ट में ही हो सकती है. वैज्ञानिक उपकरण हमेशा इस अंतर को पकड़ सकते हैं. यानी, छोटा से परमाणु परीक्षण से डराने वाला भूकंप नहीं आता है. 

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