भारतीय रेलवे की ट्रेनों में हर रोज लाखों यात्री सफर करते हैं. ट्रेन में सफर करने के दौरान आपने कई बार महसूस किया होगा कि ट्रेन अलग-अलग कारणों से कई बार बीच रास्ते में रोक दी जाती है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर ट्रेनों में ब्रेक सिस्टम कैसे काम करता है. आज हम आपको बताएंगे कि ट्रेन में ब्रेक सिस्टम कैसे काम करता है. 


ट्रेन का ब्रेक सिस्टम


बता दें कि ट्रेन को रोकने के लिए ट्रेन के डिब्बों में एयर ब्रेक लगाए जाते हैं. इन्‍हें तकनीकी तौर पर न्यूमैटिक  ब्रेक कहते हैं. ये एक प्रेशर पाइप से जुड़े होते हैं, जो वायुमंडलीय दाब का 5 गुना प्रेशर देते हैं. ये इंजन से लेकर आख‍िरी डिब्‍बे तक हर पह‍िये में लगा होता है. ये ड्राइवर के ब्रेक हैंडल से जुड़ा रहता है. बता दें कि ड्राइवर जब ब्रेक लगाता है, तो ब्रेक पाइप महज 6 सेकेंड में ब्रेक लगा देता है. इसके बाद ब्रेक ब्लॉक या ब्रेक पैड पहिए से जाकर चिपक जाते हैं. इस दौरान घर्षण इतना ज्‍यादा होता है क‍ि ब्रेक पैड गर्म हो जाते हैं और ट्रेन रुक जाती है.


कितने तरह के होते हैं ब्रेक


अब सवाल ये है कि क्या सभी ट्रेनों में एक ही तकनीक के जरिए ब्रेक लगता है. बता दें कि ब्रेक ट्रेन कोच के मुताबिक 5 तरह के होते हैं. जैसे एलएचवी सवारी डिब्‍बों में न्यूमैटिक डिस्क ब्रेक लगे होते हैं. इसमें हवा के दबाव से ब्रेक लगता है. ये बिल्‍कुल शीशे की तरह चमकते नजर आते हैं. वहीं ज्‍यादातर मेल एक्‍सप्रेस ट्रेनों में एलएचवी कोच ही लगाए जा रहे हैं. आईसीएफ सवारी डिब्‍बों में न्यूमैटिक ट्रेड  ब्रेक लगाए जाते हैं. ये बाहर से अंदर की ओर होते हैं. इसके अलावा लगभग सभी मेमू, डेमू और ईएमयू ट्रेनों में ट्रेड ब्रेक ही लगे होते हैं. ये काफी पॉवरफुल होते हैं. इसके अलावा मालगाड़ी में भी ये लगाए जाते हैं.


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