देश की सुरक्षा एजेंसियों ने चौंका दिया है कि देश के अंदर भी कितने गद्दार भरे हुए हैं. देश के बाहर के दुश्मनों से तो हम आसानी से लड़ सकते हैं, लेकिन घर से अंदर छिपे बैठे गद्दारों से लड़ना थोड़ा मुश्किल है. हालांकि फिर भी सुरक्षा एजेंसियों ने साबित कर दिया है कि गद्दार चाहे कितनी भी चालाकी कर लें, लेकिन कानून की नजरों से बच नहीं सकते हैं. यही वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ सरहद पार के दुश्मनों की नींद हराम कर दी है, बल्कि देश में छिपे बैठे गद्दारों की भी हालत टाइट कर दी है. हाल ही में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर जासूसी के आरोप लगे हैं. चलिए जानें कि सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान जाने वाले हर फोन कॉल को कैसे ट्रैक कर लेती हैं और इन गद्दारों का पता करती हैं.
> भारतीय एजेंसियां पाकिस्तान जाने वाले हर फोनकॉल को ट्रैक करने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करती हैं. इनको कुछ प्वाइंट्स में समझते हैं.
> भारतीय एजेंसियां खुफिया नेटवर्क के जरिए जानकारियां हासिल करती हैं. ये जानकारी संभावित खतरों और गतिविधियों के बारे में होती है.
> एजेंसियां कानूनी रूप से टेलीफोन इंटरसेप्शन का इस्तेमाल करती हैं, जो कि पाकिस्तान जाने वाले हर फोन की निगरानी करता है और उसे ट्रेस करने की अनुमति देता है.
> इसके अलावा टेलीफोन ट्रैकिंग टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि कॉल के सोर्स और जगह की पहचान करने की अनुपति देता है.
> भारतीय एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए भी पाकिस्तान जाने-आने वाली हर कॉल की निगरानी करती हैं और उसे ट्रेस करने में मदद करती हैं.
> इसके अलावा जब कोई फोन किसी सेल टावर के जरिए कनेक्ट होता है, तो उस जगह का पता लगाया जाता है. हर फोन का एक आईएमईआई नंबर होता है, जिसके जरिए पुलिस ट्रैक करती है.
> टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पास कॉल रिकॉर्ड्स और अन्य जानकारी भी होती है, जिसके जरिए पुलिस फोन की लोकेशन ट्रैक करती है.
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