आपने बुजुर्गों से खबरों में जरूर सुना होगा कि कई लोग मरने के बाद अचानक जिंदा हो जाते हैं. इतना ही नहीं कई लोग तो अंतिम संस्कार से कुछ देर पहले जिंदा हो जाते हैं. अब सवाल ये है कि आखिर ये कैसे संभव है कि कोई इंसान मरने के बाद जिंदा हो सकता है. आज हम आपको इसके पीछे का विज्ञान बताएंगे.

मौत के बाद कैसे जिंदा होते हैं लोग?

अब सवाल ये है कि आखिर मौत के बाद कोई भी व्यक्ति कैसे जिंदा हो सकता है? साइंस इसको लेकर कहता है. हालांकि ऐसी स्थिति में अक्सर ये कहा जाता है कि जिसने शख्स को मरा हुआ घोषित किया है, उसने अच्छे से देखा नहीं है. इसके अलावा इस तरह के मामलों को धार्मिक मान्यताओं से भी जोड़कर देखा जाता है. बता दें कि भारत ही दुनियाभर के कई देशों में ऐसी घटनाएं हो चुकी है. 

पहले कैसे करते थे पता?

एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता (मेडिसिन) स्टीफन ह्यूजेस के मुताबिक मौत होने के बाद डॉक्टर्स द्वारा उसकी पुष्टि का प्रोसेस का ठीक से पालन नहीं करने के कारण ऐसा होता है. इसके अलावा कई बार अच्छे से शरीर को चेक नहीं किया जाता है. खासकर के दिल की धड़कन रुक-रुक कर चलने वाली सांसें की ठीक से जांच ना होने की वजह से ऐसी घटनाएं सामने आती हैं.

धार्मिक मान्यताएं?

इसके अलावा इन मामलों में धार्मिक मान्यताएं अलग होती हैं. धार्मिक मान्यता ये है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है अगर धरती पर उसका कुछ काम बाकी होता है, तो उसे वापस भेज दिया जाता है. कई किताबों में भी इस तरह की बात लिखी गई है. मनोचिकित्सक डॉ. ब्रायन वाईस ने भी एक किताब मेनी लाइव्स, मेनी मास्टर्स में दावा किया था कि जिस व्यक्ति का धरती पर काम अधूरा होता है, उसे वापस भेज दिया जाता है. 

प्राचीन समय में कैसे करते थे चेक

आज के वक्त तो डॉक्टर्स कई मशीनों के जरिए ये पता लगाने की कोशिश करते हैं कि इंसान जीवित है नहीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले के समय कैसे ये पता चलता था. बता दें कि पहले कुछ देशों में यह रिवाज हुआ करता था कि किसी मरे हुए नाविक के लिए कफन की सिलाई करते समय उसके कफन का आखरी टांका लगाते समय सुई को शव की नाक में घुसाया जाता था. इस दौरान नाक में सुई घुसाने का कारण यही होता था कि अगर नाविक में प्राण बाकी होंगे, तो वह सुई चुभने पर प्रतिक्रिया करेगा. 

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