आम चुनाव की घोषणा कुछ दिनों में हो सकती है. इसी बीच जेएनयू में तीन साल  बाद छात्रसंघ चुनाव होने जा रहे हैं. किसी भी विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए चुनाव बेहद जरूरी होते हैं. वहीं आम चुनाव का महत्व राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर देश के लिए भी बहुत ज्यादा होता है.. तो चलिए इन दोनों के बीच का अंतर समझते हैं.


क्या होते हैं आम चु्नाव?
आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव के माध्यम से ही ये तय होता है कि लोकसभा में उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कौन करेगा. हमारे देश में लोकससभा की 543 सीटें हैं. जिसके लिए जनता द्वारा चुनाव के माध्यम से अपने क्षेत्र का सांसद चुना जाता है. जो पार्टी ज्यादा सीटें जीतती है उसी का एक नेता प्रधानमंत्री बनने का हक रखता है. इस तरह ये आम चुनाव पूरे देश के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं.


क्या होते हैं छात्रसंघ चुनाव
छात्रसंघ चुनाव भी देश के लिए जरूरी होता है. दरअसल इन्हींं चुनावों के जरिए आनेवाला नेता तय किया जाता है. कई यूुनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनावों में भाग लेन वाले छात्र आने वाले समय में देश की राजनीति में सक्रिय नजर आते हैं. छात्रसंघ चुनाव में तमाम छात्र चुनाव लड़ रहे नेता छात्र को वोट देते हैं. जिसके जरिए यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष चुना जाता है. इस तरह छात्रसंघ चुनाव  के जरिए किसी छात्र में नेता बनने का बीज बो दिया जाता है.


साफ शब्दों में कहें तो 2 चुनाव की एक प्रणाली, जहां कॉलेज और परिसर सीधे कॉलेज और परिसर के पदाधिकारियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं. विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि एक निर्वाचक मंडल बनाते हैं, जो विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारियों का चुनाव करता है.


डीयू और जेएनयू के इलेक्शन में क्या है अंतर
JNU और DU दोनों ही देश की नामी-ग्रामी यूनिवर्सिटी हैं. दोनों के ही छात्र संघ चुनाव में देशभर से आए युवाओं की भागीदारी रहती है. हालांकि दोनों यूनिवर्सिटी के चुनावोम में बिल्कुुल समानता नहीं है. दोनों के चुनाव प्रचार से लेकर रणनीति और मुद्दों में जमीन आसमान का फर्क है.


उदाहरण के तौर पर डीयू में चुनाव प्रचार दिन में और कैंपस टाइम में दिन में किया जाता है वहीं जेएनयुू में चुनाव प्रचार ज्यादातर समय रात में होता है. वहींं जहां डीयू में हॉस्टलर्स की प्रतिभागिता ज्यादा रहती है तो वहीं डीयूु में डे-स्कॉलर्स ज्यादा होते हैं. साथ ही दोनों ही कैंपस में चुनावी मुद्दे भी काफी अलग होते हैं. वहींं डीयू में चुनाव प्रचार पर भी काफी पैसा खर्च किया जाता है, वहीं जेएनयू में काफी बुद्धिमत्ता और शांत तरीके से चुनाव का प्रचार होता है. 


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