Mughlai Food: हम जब भी मुगलई खाने के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में स्वादिष्ट करी और बिरयानी की तस्वीर आने लगती हैं. मुगलई खाने की खास बात उसमें डलने वाली मिर्च की वजह से होने वाला तीखापन है. लेकिन 18 वीं सदी से पहले दिल्ली में मिर्च थी ही नहीं. तो सवाल यह उठता है कि जब उत्तर भारत में मिर्च नहीं थी तब मुगलों ने अपने मशहूर व्यंजन कैसे बनाए. आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब.

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मिर्च से पहले मसालों का इस्तेमाल 

दरअसल 18 वीं सदी से पहले मुगलई शेफ तीखेपन और खुशबू के लिए दूसरे मसालों का इस्तेमाल करते थे. काली मिर्च तीखेपन के लिए इस्तेमाल की जाती थी जो मीट और सब्जी के डिश में हल्का तीखापन देती थी. काली मिर्च के साथ गरम मसाला भी इस्तेमाल किया जाता था जिसमें दालचीनी, लौंग, इलायची और जायफल जैसे मसाले मिले हुए होते थे. इन मसालों की मदद से कोई भी व्यंजन और भी ज्यादा लजीज हो जाता था.

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इसी के साथ ताजा अदरक और लहसुन को पीसकर पेस्ट बनाया जाता था जो खाने में स्वाद और खुशबू दोनों देता था. साथ ही केसर बिरयानी जैसी डिश में इस्तेमाल किया जाता था जो हल्की फूलों की खुशबू के साथ खाने को और भी आकर्षित बना देता था. साथ ही दही और क्रीम जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, घी और काजू-बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स ग्रेवी को गाढ़ा बनाने में मदद करते थे. इन्हीं सब चीजों की मदद से व्यंजन को वह खास स्वाद मिलता था जिसके लिए वह मशहूर है. 

धीमी आंच पर पकाना 

मुगलों ने दमपुख्त तकनीक को विकसित किया है. इसमें खाने को धीमी आंच पर एक सील पैक बर्तन में पकाया जाता था. इस तरीके से मसाले और सामग्री अच्छे तरह से मिल जाती थी. इसके बाद स्वाद में एक मुलायम टेक्सचर मिलता था. मिर्च के बगैर भी मसाले को इस तरीके से पकाया जाता था कि लंबे समय तक पकने की वजह से हर डिश खुशबू और स्वाद से भरपूर होती थी. 

भारत में मिर्च कब आई 

भारत में मिर्च 16वीं सदी में आई थी. यह मूल रूप से दक्षिण अमेरिका की है और इसे पुर्तगीज लोग भारत लाए थे. शुरुआत में यह मुख्य रूप से तटीय इलाकों में उगाई जाती थी जैसे कि आज का मुंबई. 18 वीं सदी तक जब मराठा दिल्ली आए तब मिर्च उत्तर भारत में फैलने लगी. बाद में यह गुजरात और राजस्थान जैसे दूसरे इलाकों में भी उगाई जाने लगी और धीरे-धीरे भारतीय खाने का एक मुख्य हिस्सा बन गई. 

मुगलई खाने की विरासत 

मिर्च के बिना भी मुगलई खाना स्वाद और खुशबू का एक शानदार मिश्रण था. इसकी खासियत सही तरीके से इस्तेमाल किए गए मसाले, धीमी आंच पर पकने की विधि और मेवों जैसे स्वादिष्ट सामग्री का इस्तेमाल थी. बाद में जब मिर्च का इस्तेमाल होना शुरू हुआ तो ये शानदार व्यंजन और भी बेहतर बन गए.

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