क्या आपने कभी सोचा है कि हथियार और विस्फोटक एक जगह से दूसरी जगह कैसे पहुंचाए जाते हैं? उनको ले जाने में कौन-सी सुरक्षा दीवारें खड़ी की जाती हैं, ताकि रास्ते में जरा सी चूक भी न हो? और आखिर क्या होती है वह खास SOP, जिसे फॉलो किए बिना एक इंच भी ऐसे सामान को हिलाया नहीं जा सकता? आज जानते हैं इस गुप्त और बेहद सुरक्षित दुनिया के अंदर का सच.

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बेहद सतर्क तरीके से लेकर जाए जाते हैं हथियार

देश में हथियार या विस्फोटक सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना कोई सामान्य काम नहीं होता है. यह प्रक्रिया उतनी ही शांत दिखाई देती है, जितनी अंदर से खतरनाक और संवेदनशील होती है. सुरक्षा एजेंसियां इसे लेकर बेहद सख्त रहती हैं, क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान एक छोटी गलती भी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती है. इसीलिए हर देश, खासकर भारत में, एक्सप्लोसिव ट्रांसपोर्टेशन SOP नाम का एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया गया है, जिसका पालन करना अनिवार्य होता है.

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कैसे होता है ट्रांसपोर्टेशन

सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि हथियारों का ट्रांसपोर्ट केवल अधिकृत एजेंसियां ही कर सकती हैं. चाहे आर्मी हो, पुलिस हो, DRDO हो या फिर लाइसेंस प्राप्त प्राइवेट कंपनी, हर किसी को इसके लिए कई स्तर से मंजूरी लेनी पड़ती है. इसके बाद असली तैयारी शुरू होती है. हथियारों और विस्फोटकों को पैक करने से लेकर उनके कंटेनरों को सील करने तक हर कदम वैज्ञानिक तरीके से पूरा किया जाता है. खास बात यह है कि इन कंटेनरों में तापमान कंट्रोल, शॉक प्रोटेक्शन और फायर रेसिस्टेंट लेयर होती है, ताकि रास्ते में किसी भी तरह की गर्मी, झटका या कंपन इन पर असर न डाल सके.

हर बात रहती है गुप्त

अब बात करते हैं ट्रांसपोर्टेशन की. जिस रूट से हथियार या एक्सप्लोसिव ले जाए जाते हैं, उसे आखिरी समय तक गुप्त रखा जाता है. वाहन पर कौन बैठेगा, कितने गार्ड होंगे और किन-किन चेकप्वाइंट से गुजरना है, सब पहले से तय होता है. इन वाहनों के साथ सुरक्षा दल चलता है, और हर वाहन GPS से लगातार ट्रैक किया जाता है. कई बार सैटेलाइट मॉनिटरिंग भी शामिल होती है ताकि किसी भी अनहोनी पर तुरंत एक्शन लिया जा सके.

एक और दिलचस्प बात यह है कि पूरे रास्ते पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर भी प्रतिबंध होता है. कई मामलों में ड्राइवर और सुरक्षा टीम के पास जैमर भी होते हैं, ताकि किसी प्रकार का रिमोट डिवाइस सक्रिय न हो सके. यह पूरी SOP इस सोच के साथ बनाई गई है कि संवेदनशील सामान सुरक्षित तरीके से अपने गंतव्य तक पहुंच सके. 

एयर ट्रांसपोर्ट कैसे होता है?

एयर ट्रांसपोर्ट की बात करें तो इसके नियम और भी कड़े होते हैं. कार्गो प्लेन में हथियार या विस्फोटक रखने से पहले DGCA और सुरक्षा एजेंसियों से मंजूरी जरूरी होती है. विमान का एक अलग कम्पार्टमेंट तय किया जाता है, जहां तापमान नियंत्रित रखा जाता है और सुरक्षा दल की निगरानी रहती है. लैंडिंग और टेक-ऑफ के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती जाती है. 

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