भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं. जिसमें मुख्य रूप से हिंदू धर्म, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध शामिल हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत में संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है और इसको लेकर क्या कानून है. जैसे अगर बिना वसीयत लिखे पिता की मौत होती है, तो उस स्थिति में प्रॉपर्टी में बेटियों को कितना हिस्सा मिलेगा आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

प्रॉपर्टी में कैसे मिलता है हिस्सा?

अब सवाल ये है कि अगर कोई पिता अपने मरने से पहले वसीयत नहीं लिखता है, तो उस स्थिति में बच्चों में संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा और इसको लेकर क्या कानून है. क्या उस स्थिति में कोर्ट के आदेश पर संपत्ति का बंटवारा होगा या भाई-बहन आपसी सहमति से बंटवारा कर सकते हैं. आज हम आपको इससे जुड़े नियम के बारे में बताएंगे. 

पर्सनल लॉ

बता दें कि भारत में शादी, संपत्ति बंटवारे को लेकर पर्सनल लॉ है. हिंदू धर्म के लोगों के लिए हिंदू पर्सनल लॉ होता है, वहीं मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ होता है. हिंदू पर्सनल लॉ में वीरशैव, लिंगायत, ब्रह्म, प्रार्थना, आर्य समाज के मानने वाले शामिल हैं. इसके अलावा हिंदू पर्सनल लॉ बौद्ध, जैन, और सिख धर्म के लोगों पर भी लागू होता है. आसान भाषा में कहा जाए तो अगर किसी हिंदू लड़की को अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा चाहिए, तो उसे हिंदू पर्सनल लॉ के नियमों के तहत मिलेगा और मुस्लिम लड़की को संपत्ति में हिस्सा चाहिए, तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए संपत्ति में हिस्सा मिलेगा. 

बिना वसीयत के कैसे मिलेगा हिस्सा?

अब सवाल ये है कि अगर कोई पिता मरने से पहले वसीयत नहीं बनवाता है, तो उस केस में उस घर की लड़की को वसीयत में हिस्सा कैसे मिलेगा? बता दें कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगर किसी हिंदू पिता की बिना वसीयत के मृत्यु होती है, तो उसके पिता या माता द्वारा विरासत में मिली संपत्ति उसके पिता के उत्तराधिकारियों को मिलेगी. जबकि उसके पति या ससुर से विरासत में मिली संपत्ति उसके पति या ससुर के उत्तराधिकारियों को मिलेगी. 

क्या कहता है नियम?

बता दें कि अगर पिता बिना वसीयत के मरते हैं, तो उनकी संपत्ति का पहला हकदार उनकी पत्नी होती है. वहीं बच्चों के मां के गुजरने के बाद उस संपत्ति के उनके बच्चे संपत्ति के हिस्सेदार बनते हैं. वहीं हिंदू धर्म में संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के नियमों के मुताबिक होता है. लेकिन अगर पिता ने बेटी को खुद की संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार किया है, तो बेटी कुछ नहीं कर सकती है. वहीं मुस्लिम धर्म में मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बेटियों को पिता की संपत्ति में भाई के मुकाबले आधा हिस्सा दिया जाता है. 

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