Gandhi Jayanti 2025: 2 अक्टूबर 2025 को महात्मा गांधी की 156वीं जयंती मनाई जाएगी. महात्मा गांधी की जयंती स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और सत्य, अहिंसा व उनके सिद्धांतों के सम्मान में मनाया जाता है. इस दौरान स्कूल से लेकर ऑफिसों तक में अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. देश को आजाद कराने के बाद जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तो उस दिन को भी इतिहास के सबसे बड़े घटनाक्रम के रूप में याद किया जाता है. 

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या की भविष्यवाणी पहले ही कर दी गई थी. चलिए जानें कि आखिर किस शख्स ने यह भविष्यवाणी की.

किसने की थी गांधी जी की हत्या की भविष्यवाणी?

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30 जनवरी 1948 को जब नई दिल्ली के बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तो पूरा देश शोक में डूब गया था. नाथूराम गोडसे ने गांधीजी के पैर छुए और इसके बाद अपनी बंदूक से उनके सीने में तीन गोलियां मारी थीं. मरने से पहले गांधी जी के अंतिम शब्द थे ‘हे राम’. किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी कि गांधीजी की हत्या होगी, लेकिन एक शख्स ऐसा था, जिसने यह बात पहले ही कह दी थी कि गांधीजी की हत्या की जाएगी. वो शख्स थे उज्जैन के विख्यात ज्योतिषाचार्य और स्वतंत्रता सेनानी पंडित सूर्य नारायण व्यास.

इन्होंने ही बनाई थी आजाद भारत की कुंडली

पंडित सूर्य नारायण व्यास का नाम भारत के प्रमुख ज्योतिषियों में गिना जाता है. वे न केवल एक विद्वान थे बल्कि राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत व्यक्ति भी थे. कहा जाता है कि उन्होंने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 की भी सटीक भविष्यवाणी उन्होंने ही की थी. कहा तो यह भी जाता है कि जब देश को आजादी मिली तो आजाद भारत की कुंडली भी इन्होंने ही बनवाई थी. 

गांधीजी की मृत्यु को लेकर क्या बोले थे पंडित व्यास?

जानकारी के अनुसार, पंडित व्यास ने कहा था कि गांधी जी का जीवन लंबा नहीं रहेगा और उनकी हत्या एक हिंसक घटना में हो सकती है. गांधीजी की मृत्यु से पहले ही इन्होंने कह दिया था कि गांधी मरेंगे नहीं, उनकी हत्या होगी. कहते हैं कि उन्होंने यह भी इशारा किया था कि गांधी जी के विचार और कार्य कुछ उग्र विचारधारा वाले लोगों को असहज करेंगे और इसी कारण से उनकी जान को खतरा रहेगा.

कब हुई थी भविष्यवाणी?

इतिहासकारों की मानें तो पंडित सूर्य नारायण व्यास ने यह भविष्यवाणी करीब 1930 के दशक में की थी. उस समय गांधी जी स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे और पूरा देश उनके नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. हालांकि, उनके विचारों और नीतियों से सभी लोग सहमत नहीं थे. विभाजन के समय गांधी जी के निर्णयों और नीतियों से कई कट्टरपंथी गुट नाराज थे. यही नाराजगी आगे चलकर नाथूराम गोडसे जैसे लोगों की सोच पर हावी हुई और अंततः गांधी जी की हत्या हुई.

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