अहमदाबाद में हुए विमान हादसे की जांच के बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने भी मदद की पेशकश की है. ब्रिटेन की AAIB ने भारत में जांच में मदद की बात कही है. भारत सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल की टीम बनाई है जो कि विमानन सुरक्षा को और बेहतर बनाने का काम करेगी. किसी भी प्लेन हादसे में ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर बहुत महत्वपूर्णं भूमिका निभाते हैं. इनके जरिए ही किसी भी विमान दुर्घटना का पता लगाने में मदद मिलती है. इनसे मिलने वाली जानकारी के जरिए हादसे का कारण पता करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलती है. आइए जानते हैं कि ये किस चीज के बने होते हैं. 

क्या होता है ब्लैक बॉक्स 

जब भी कभी कोई गंभीर विमान हादसा होता है तो तुरंत एक टीम को मौके पर भेजा जाता है. यह टीम ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) और CVR की जांच करती है. आमतौर पर ऐसे मामलों में शुरुआती रिपोर्ट तीन महीने में आ जाती है. सीवीआर विमान के कॉकपिट में होने वाली सभी तरह की आवाजों को रिकॉर्ड करता है. ब्लैक बॉक्स और सीवीआर के डेटा को एनालाइज करने में करीब 10-15 दिनों का समय लग जाता है. इसके बाद हादसे का कारण और सुझाव तैयार किए जाते हैं. यह विमान हादसे की जांच के लिए बहुत जरूरी होता है. इसे इस तरीके से बनाया जाता है कि यह खतरनाक क्रैश में भी सुरक्षित रहता है. यह पालयट की गलती, तकनीकी खराबी, खराब मौसम या फिर किसी हमले के बारे में बताता है. 

DVR क्या है और कैसे काम करता है

डीवीआर को डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर भी कहा जाता है. यह एक ऐसी डिवाइस होती है जो कि एयरक्राफ्ट में सुरक्षा की दृष्टि से लगाई जाती है. फ्लाइट में मौजूद सीसीटीवी कैमरे की फुटेज इसमें रिकॉर्ड होती है. इसको इतना मजबूत बनाया जाता है कि यह खराब वातावरण में भी लंबे समय तक रिकॉर्ड करने में सक्षम होता है. फ्लाइट के रिव्यू के बाद DVR डेटा को भी रिमूव किया जा सकता है. इसमें फ्लाइट के कॉक-पिट से लेकर पैसेंजर केबिन, इमरजेंसी गेट्स पर लगे सीसीटीवी कैमरे और एंट्री-एक्जिट गेट्स पर लगे सीसीटीवी की फुटेज इसमें शामिल होती है. 

किस चीज का बना होता है DVR और ब्लैक बॉक्स

प्लेन का ब्लैक बॉक्स और डीवीआर मजबूत धातुओं जैसे कि स्टील या फिर टाइटेनियम से बनाजा जाता है. ये डिवाइस आग-पानी और भारी दबाव सहन करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, जिससे कि दुर्घटना की स्थिति में भी डेटा सुरक्षित रहे. ब्लैक बॉक्स को विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है, जहां पर दुर्घटना का प्रभाव कम होता है. ब्लैक बॉक्स का रंग काला नहीं बल्कि ऑरेंज होता है, जिससे कि दुर्घटना के बाद इसको आसानी से खोजा जा सके. ब्लैक बॉक्स में सॉलिड स्टेट मेमोरी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अंडरवॉटर लोकेटिंग बीकन (ULB) होता है, जो कि पानी में डूबने पर भी सिग्नल भेजता है.

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