Match Fixing: सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट के दौरान मैच फिक्सिंग के आरोप में चार भारतीय खिलाड़ियों को सस्पेंड किया गया है. असम क्रिकेट एसोसिएशन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ईशान अहमद, अमन त्रिपाठी, अमित सक्सेना और अभिषेक ठाकुर को तुरंत सस्पेंड कर दिया है. गुवाहाटी क्राइम ब्रांच ने एफआईआर भी दर्ज की है और साथ ही जांच पूरी होने तक खिलाड़ियों को एसोसिएशन द्वारा आयोजित किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है. इसी बीच आइए जानते हैं कि भारत में मैच फिक्सिंग के लिए कानूनी सजा क्या है.

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मैच फिक्सिंग की सजा 

दरअसल भारत में मैच फिक्सिंग के लिए अभी कोई भी अलग से कानून नहीं है. कुछ देशों के उलट जहां उन्होंने खेल अखंडता के कानून बनाए हैं, भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आपराधिक प्रावधानों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. 

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भारतीय न्याय संहिता की कौन सी धाराएं लागू की जा सकती हैं 

भारतीय न्याय संहिता के तहत पुलिस आमतौर पर मैच फिक्सिंग मामलों में धोखाधड़ी से संबंधित प्रावधानों का इस्तेमाल करती है. आमतौर पर सबसे ज्यादा धारा 318 लागू की जाती है. यह तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति बेईमानी से किसी दूसरे व्यक्ति को संपत्ति देने के लिए प्रेरित करता है या फिर गलत नुकसान या फायदा पहुंचता है. मैच फिक्सिंग में टीम, आयोजकों, प्रायोजकों और यहां तक की जनता को धोखा देना शामिल है. 

इसी के साथ अगर कई खिलाड़ी या फिर बाहरी एजेंट शामिल है तो धारा 61 भी जोड़ी जा सकती है. यह आपराधिक साजिश की धारा होती है. क्योंकि फिक्सिंग शायद ही कभी कोई व्यक्तिगत काम होता है और आमतौर पर इसमें सट्टेबाजों या फिर बिचौलियों के साथ तालमेल शामिल होता है. 

क्या मिलती है सजा 

भारतीय न्याय संहिता की धोखाधड़ी और साजिश जैसी धाराओं के तहत सजा अपराध की गंभीरता और शामिल पैसे की रकम के आधार पर 7 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकती है. हालांकि मैच फिक्सिंग मामले में ऐतिहासिक रूप से सजा मिलना मुश्किल रहा है. इसके पीछे की वजह सबूतों और खास कानूनी ढांचे की कमी रही है.

बीसीसीआई की भूमिका 

वैसे तो आपराधिक मामले धीरे-धीरे चलते हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड काफी ज्यादा सख्त रुख अपनाता है. अपनी एंटी करप्शन यूनिट और कोड ऑफ कंडक्ट के जरिए बीसीसीआई खिलाड़ियों को सस्पेंड कर सकता है, लंबे बैन लगा सकता है और अगर अपराध साबित होता है तो लाइफटाइम बैन भी लगा सकता है.

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