संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में पता चला है कि फिनलैंड में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा खुश हैं. खास बात ये है कि पिछले 6 साल से फिनलैंड सबसे खुशहाल देश है. 2023 की हैप्पीनेस रिपोर्ट में भी फिनलैंड ने इस लिस्ट में पहला स्थान हासिल किया है, इससे पता चलता है कि वहां रहने वाले लोग अपनी लाइफ से संतुष्ट है. मगर सवाल ये है कि आखिर कैसे पता चलता है कि कोई खुश है या नहीं.


इसके अलावा अक्सर ये कहा जाता है कि खुशी का कोई पैमाना नहीं है और खुशी को किसी क्राइटेरिया में नहीं बांधा जा सकता है. तो आज जानते हैं कि ये कैसे पता लगाया जाता है कि वहां के लोग खुश है या नहीं और इसके साथ जानते हैं कि क्या सही में किसी की हैप्पीनेस के लिए कोई पैमाना तय किया जा सकता है या उसे मापा जा सकता है... 


कैसे पता चलता है कौन देश कितनी खुश?


जब भी हैप्पीनेस इंडेक्स की रिपोर्ट बनाई जाती है, उस वक्त वहां के लोगों से पूछा जाता है कि वो कितने खुश हैं. उन्होंने उनकी लाइफ से जुड़े कुछ सवालों को लेकर रेटिंग ली जाती है और उन रेटिंग के जरिए इसका अंदाजा लगाया जा जाता है. यह एक सर्वे पर निर्भर करता है और वहां के लोगों की खुशी, बिहेवियर आदि के जरिए अंदाजा लगाया जाता है कि वो कितने खुश है. लोगों की राय के आधार पर पता लगाने की कोशिश की जाती है कि किस देश में कितनी हैप्पीनेस है. 


क्या खुशी को मापा जा सकता है?


दरअसल, खुशी एक ऐसा चीज है, जिसका कोई पैमाना नहीं माना जाता है. दरअसल, किसी बच्चे को टेडी बियर मिल जाता है तो वो खुश हो जाता है. किसी को पैसे से खुशी मिलती है तो किसी को कहीं घूमने से. किसी को कुछ खाने से तो किसी को कोई पद मिलने से या फिर किसी से शादी होने से. ऐसे में खुशी के कई मायने होते हैं और इसका कोई पैमाना तय नहीं किया जा सकता है. अगर खुशी को मापने की बात करें तो इसे मापा तो जा सकता है, लेकिन इसका पता सिर्फ वो व्यक्ति ही लगा सकता है. वो अपनी खुशी का अंदाजा लगा सकता है कि उसे किसी से खुशी है या नहीं.


अगर विज्ञान के हिसाब से देखें तो किसी की खुशी का पैमाना तय नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ साइकोलॉजिकल मेजर्स के जरिए खुशी के बारे में पता लगाया जा सकता है. साइंटिफिक तरीकों में इलेक्ट्रॉइसेफैलोग्राफी (ईईजी), फंक्शनल मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (FMRI) और हार्ट रेट वेरियबिलिटी (HRV) के जरिए खुशी के बारे में पता लगाया जा सकता है. 


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