उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया जो फर्जी अधिकारी बनकर लोगों को ठगने का काम करता था. यह शख्स IAS बनकर लोगों पर रौब झाड़ता था. पुलिस ने शख्स को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से छह लग्जरी गाड़ियां, लैपटॉप, नकली पहचान पत्र विजिटिंग कार्ड लाल-नीली बत्ती और कई फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं. आरोपी की पहचान मऊ निवासी सौरभ त्रिपाठी के रूप में हुई है. लेकिन सवाल ये है कि फर्जी IAS-IPS बनकर घूमने पर सजा कितनी होती है और पकड़े जाने पर किस धाराओं में केस दर्ज होता है. चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं.
किन धाराओं में दर्ज होता है मुकदमा?
IAS और IPS (भारतीय पुलिस सेवा) देश की सबसे ऊंची सिविल सेवाएं हैं. ऐसे मामले रोजाना सामने आ रहे हैं, जहां ठग सरकारी नौकरी, ट्रांसफर या निवेश का लालच देकर लाखों-करोड़ों की ठगी करते हैं. अब सवाल यह है कि कानून क्या कहता है? ऐसे मामले में पुलिस किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज करती है और आरोपी को क्या सजा मिलती है.
कैसे होती है कानूनी कार्रवाई?
- नई BNS की धारा 319(2), इसमें धोखा देने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा है. पहले 3 साल थी, अब बढ़ाकर 5 साल कर दी गई है. अगर फर्जी आईडी से पैसे ऐंठे जाएं, तो यह धारा लागू होती है. उदाहरण स्वरूप, अगर कोई फर्जी IPS बनकर रिश्वत मांगे या ठगी करे, तो यही धारा फिट बैठती है.
- धारा 318(4)- धोखे से संपत्ति हड़पने पर 7 साल तक की सजा. यह तब लागू होती है जब फर्जी अधिकारी बनकर किसी को संपत्ति, पैसा या दस्तावेज सौंपने के लिए मजबूर किया जाए. जैसे, नौकरी का लालच देकर पैसे लेना. सजा सख्त है क्योंकि यह आर्थिक अपराध को बढ़ावा देता है.
- जाली दस्तावेजों के लिए धारा 336, इसके अंतर्गत सरकारी दस्तावेज जैसे आईडी कार्ड, आधार या वोटर आईडी जाली बनाने पर 7 साल तक की कैद. फर्जी IAS-IPS प्रमाण-पत्र बनाना इसी में आता है.
- धारा 337 में कोर्ट या पब्लिक रजिस्टर के फर्जी दस्तावेज पर भी 7 साल की सजा. हाल के केस में, श्रीनगर में एक दंपति को फर्जी IAS-IPS बनकर ठगी के लिए धारा 319, 318, 336, 340 (जाली दस्तावेज उपयोग) के तहत गिरफ्तार किया जाता है.
- इसके अलावा धारा 347(2) और 66डी आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है.
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