British Trade In India: मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल के दौरान ब्रिटिश आधिकारिक तौर पर भारत आए. वैसे तो ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में इंग्लैंड में हुई थी लेकिन जहांगीर के शासनकाल में ही अंग्रेजों को पहली बार मुगल साम्राज्य में व्यापार करने की अनुमति मिली थी. जो कहानी एक व्यापारिक अनुरोध के रूप में शुरू हुई थी वह धीरे-धीरे करके दुनिया के इतिहास में सबसे बड़े राजनीतिक कब्जों में से एक बन गयी.
पहला अंग्रेजी जहाज भारत कब पहुंचा
ब्रिटिशों ने 1608 में भारत में पहली बार कदम रखा था. कप्तान विलियम हॉकिन्स हेक्टर जहाज पर सवार होकर सूरत बंदरगाह शहर पहुंचे. उस वक्त सूरत मुगल साम्राज्य का एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था और वहां पहले से ही पुर्तगाली व्यापारी मौजूद थे. पुर्तगाली हिंद महासागर में समुद्री व्यापार पर हावी थे.
जहांगीर के शाही दरबार में प्रवेश
1609 में विलियम हॉकिन्स व्यापार की अनुमति लेने के लिए जहांगीर के दरबार में पहुंचे. जहांगीर ने उनका काफी अच्छे से स्वागत किया और उन्हें इंग्लिश खान की उपाधि भी दी. हालांकि पुर्तगालियों के कड़े विरोध की वजह से मुगल दरबार ने शुरू में ब्रिटिशों को औपचारिक व्यापार अधिकार देने से पूरी तरह मना कर दिया.
पुर्तगालियों की हार
1612 में सूरत के पास स्वाली की लड़ाई में ब्रिटिशों द्वारा पुर्तगाली नौसेना को हराने के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए. इस नौसैनिक जीत ने जहांगीर को काफी ज्यादा प्रभावित किया क्योंकि पुर्तगाली भारत के पश्चिमी तट पर काफी ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहे थे. इस लड़ाई ने यह साबित कर दिया कि ब्रिटिश समुद्र में मुगल व्यापार रास्तों की रक्षा कर सकते हैं. पुर्तगालियों की हार के बाद 1613 में जहांगीर ने ब्रिटिशों को सूरत में अपनी पहली स्थायी व्यापारिक फैक्ट्री को स्थापित करने की अनुमति दे दी.
सर थॉमस रो और शाही व्यापार अधिकार
1615 में सर थॉमस रो इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के आधिकारिक राजदूत के रूप में जहांगीर के दरबार में आए. भारत में लगभग 3 साल रहने के बाद उन्होंने एक शाही फरमान हासिल किया जिसने ब्रिटिशों को मुगल क्षेत्र में खुले तौर पर व्यापार करने और कारखाने स्थापित करने की अनुमति दी.
भारत में ब्रिटिश व्यापार का विस्तार
शाही अनुमति मिलने के बाद ब्रिटिशों ने तेजी से अपने व्यापार नेटवर्क को फैलाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने व्यापार का विस्तार मसूलिपट्टनम, आगरा, अहमदाबाद और भरूच जैसे शहरों तक किया. वे सूती कपड़े, रेशम, नील, मसाले और बाद में चाय और अफीम का व्यापार करते थे.
ऐसे बदला इतिहास
जब ईस्ट इंडिया कंपनी बनी थी तब भारत पर अकबर का राज था लेकिन अंग्रेजों को असली पहुंच जहांगीर के शासनकाल में ही मिली थी. जहांगीर की व्यापारिक अनुमति ब्रिटिश नौसैनिक शक्ति और कूटनीति ने एक ऐसी कंपनी के लिए रास्ता खोला जो एक औपनिवेशिक शक्ति बन गई और लगभग 200 सालों तक भारत पर राज किया.
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