भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल दूध का होता है. चाय से लेकर घर के बच्चों और दही के लिए दूध का इस्तेमाल होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी देश है, जहां पर दूध पीना बुरा माना जाता है. जानिए आखिर क्या है इसके पीछे की वजह. 


कौनसा है वो देश


बता दें कि चीन के लोगों के बारे में कहा जाता है वो सबकुछ पचा सकते हैं. लेकिन दूध नहीं पचा पाते हैं. यहीं कारण है कि वहां पर दूध पीना बुरा माना जाता है. चाइनीज लोग कभी दूध पचा नहीं पाए हैं, लिहाजा सदियों से वहां दूध पीना ही बुरा माना जाता है. चीन की आधी से ज्यादा आबादी लेक्टोज इनटॉलरेंट है, यानी वो दूध नहीं पचा पाती है. रिसर्च के मुताबिक ये समस्या चीनियों के डीएनए की वजह से होती है, जिससे उन्हें जन्म से साथ ही दूध पचाने में मुश्किल आती है. लेकिन सवाल ये है कि सांप-चमगादड़ जैसा एग्जॉटिक मांस पचा पाने वाले दूध क्यों नहीं पचा पाते हैं. 


ये है कारण 


बता दें कि दूध या इससे बनी चीजें खाने पर अपच को लेक्टोस इनटॉलरेंस कहते हैं. लेक्टोज दूध में पाई जाने वाली शक्कर है, जो इससे बनी चीजों जैसे पनीर, घी और बटर में भी होती है. जो लोग दूध पचा नहीं पाने की बात करते हैं, वे असल में इसमें पाई जाने वाली यही शक्कर नहीं पचा पाते है. ये असल में अपच का कारण होता है. उनकी छोटी आंत, जिसमें लेक्टोज को पचाने के लिए जरूरी एंजाइम नहीं बन पाता है. 


जानकारी के मुताबिक दूध पीने के 30 मिनट से 2 घंटे के भीतर अगर पेट दर्द, उल्टियां, उबकाई आना, पेट से खदबद की आवाजें आना या डायरिया जैसी समस्या भी होती है. तो ये समझा जा सकता है कि आप लेक्टोज नहीं पचा पाते हैं. लेक्टोज नहीं पचा पाने वाले कई बच्चे उम्र के साथ दूध पचा पाते हैं, वहीं कई बार ये समस्या पूरी उम्र बनी रहती है. हालांकि ये भी देखा गया कि भौगोलिक संरचना के आधार पर लेक्टोज इनटॉलरेंस बढ़ता-घटता रहता है. जैसे एशिया के लोगों में ये समस्या ज्यादा देखी जाती है. जबकि यूरोपियन आबादी के साथ ये परेशानी बहुत कम है. एशिया में भी चीन के लोगों में दूध नहीं पचा पाने की समस्या सबसे ज्यादा है.


दूध उत्पादन में तीसरा नंबर है चीन 


जानकारी के मुताबिक चीनी लोग दूध नहीं पचा पाते है. लेकिन ये देश दूध के उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे आगे बड़ा देश है. UK Agriculture & Horticulture Development Board के मुताबिक सबसे आगे अमेरिका और उसके बाद भारत हैं. बीते कुछ सालों में चीन ने 37 मिलियन टन से भी ज्यादा दूध का हर साल उत्पादन किया है. लेकिन इतने दूध के प्रोडक्शन के बाद भी चाइनीज इसे खुद पीने की बजाए निर्यात पर जोर देते हैं.


 


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