कई महीने के सस्पेंस के बाद आखिर बीते 7 अगस्त से डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ लागू हो चुका है. यह टैरिफ विभिन्न देशों पर 10 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक है. ट्रंप ने अभी भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, इसकी वजह है रूस से भारत की दोस्ती और कच्चे तेल की खरीद-फरोख्त. रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इसके खिलाफ भारत का अगला संभावित कदम क्या हो सकता है और भारत इस स्थिति से कैसे निपटेगा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर यह आरोप लगाया है कि भारत अमेरिकी डॉलर से रूसी तेल खरीदता है, जिस वजह से रूस को हथियारों के लिए फंड मिलता है. चलिए जानें कि अमेरिका के खिलाफ अगर एशिया के सभी देश आ जाएं तो डोनाल्ड ट्रंप क्या करेंगे.
ट्रंप के टैरिफ के बीच क्या चीजें हुईं खास
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के बीच एशिया के बड़े देशों में कुछ बड़ी बातें हुई हैं, जो कि ध्यान देने योग्य हैं, जैसे कि नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल का मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात, पीएम मोदी के चीन दौरे का एलान, पुतिन और पीएम मोदी की टेलीफोन पर बात होना और ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डी सिल्वा का पीएम मोदी को फोन करना. सभी चीजों में कॉमन बात जो है वो है ब्राजील, भारत, रूस और चीन..ये चारों देश ब्रिक्स के संस्थापक हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर ट्रंप के टैरिफ युद्ध के खिलाफ ब्रिक्स के एक्टिवेट होते ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कदम वापस खींच लिए हैं.
अमेरिका को जवाब देने की तैयारी में ब्रिक्स?
एक्सपर्ट्स की मानें ब्रिक्स के सारे बड़े देश मिलकर बड़ा एलान करने की तैयारी में हैं, कहा जा रहा है कि यह अमेरिका के पैरों तले जमीन खिसकाने वाला फैसला होगा. ऐसे माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की हर दिन नई नौटंकी के खिलाफ ब्रिक्स देश अमेरिका को जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं. ब्रिक्स के देश वैश्विक जीडीपी में करीब 35.6 फीसदी का योगदान देते हैं और अब एशिया के देश ट्रंप के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं.
एशिया के देश साथ आ गए तो ट्रंप का क्या होगा?
ब्रिक्स का अब विस्तार हो चुका है और इसमें कई सारे नए देश शामिल हो चुके हैं, लेकिन ज्यादातर देश चीन के करीबी हैं, जिसमें से ज्यादातर देशों के साथ भारत की दोस्ती अच्छी है. मजेदार बात यह है कि चीन का आधिकारिक ग्लोबल टाइम्स भी भारत के लेकर अपने स्वर नरम करता नजर आ रहा है और अमेरिका के खिलाफ भारत के पक्ष में बात कर रहा है. वहीं डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि जो ब्रिक्स देश अमेरिकी हितों के खिलाफ जाएंगे उनको अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ झेलना होगा. ट्रंप की इस बात को भारत ने इसे अनुचित करार दिया था और रूस के साथ उसके रिश्ते लंबे समय से भरोसे पर टिके हुए हैं.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर वाकई ब्रिक्स देश साथ आने वाले हैं और जुगलबंदी करने लगे हैं तो क्या वाकई ट्रंप बैकफुट पर आए हैं या फिर वे ब्रिक्स को काउंटर करने के लिए कोई नई प्लानिंग कर रहे हैं.
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