Moon and Earth: बचपन से हम सब आसमान में तारों को टिमटिमाते हुए देखते आ रहे हैं. तब हमारे मन में यह सवाल होता था कि ऐसा क्यों होता है? आखिर तारे टिमटिमाते क्यों हैं? बड़े हुए तो इसका जवाब मिल गया कि ऐसा क्यों होता है. आसमान में तारे इसलिए टिमटिमाते हैं कि इन तारों की रोशनी अरबों किलोमीटर की दूरी तय कर पृथ्वी तक पहुंचती है. इसलिए वह रोशनी टिमटिमाते हुए दिखती है. यह तो अब पुरानी बात हो गई है. आइए आज यह समझते हैं कि क्या जिस तरह से धरती से तारे टिमटिमाते हुए दिखते हैं. वैसे ही चांद पर भी होता है.

इस वजह से चांद पर टिमटिमाते हैं तारे

पृथ्वी और चांद के बीच कई ऐसी चीजें हैं जो बिलकुल समान है. चांद भी धरती की तरह सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करती है. जिस तरह से हम धरती से चांद को देखते हैं तो वह चमकीला दिखता है ठीक वैसे ही अगर कोई चांद से धरती को देखे तो वह उसके तुलना में 55 गुना अधिक चमकीली दिखेगी. चांद पर कोई वायुमंडल नहीं होते हैं. अंग्रेजी वेबसाइट न्यूज 18 की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के मुताबिक, जैसे ही चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमता है. पृथ्वी से तारे टिमटिमाते हुए दिखने लगती है. यही सेम क्रिया चंद्रमा पर ही होती है. दरअसल, खगोलीय स्थिति के कारण जगमगाहट पृथ्वी के वायुमंडल के चलते एक प्रकाश भ्रम होता है. 

पृथ्वी से अलग होता है चांद पर दिन

चांद पर दिन और रात धरती से अलग होती है, इसका पता धरती से भी इंसान लगा सकता है. जब चंद्रमा धरती की परिक्रमा करता है और सुर्य को चांद के उसी क्षितिज बिंदु पर लौटने देता है, जिसमें धरती के 29.5 दिन लगते हैं. यानि चंद्रमा को हर कक्षा में दो सप्ताह से थोड़ा अधिक दिन का समय मिलता है, जब वहां रौशनी होती है. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चांद के एक हिस्से में दो सप्ताह तक उजाला तो 2 सप्ताह तो अंधेरा रहता है. बता दें, भारत ने अभी हाल ही में चांद पर एक मिशन भेजा है, जो वहां से जानकारी इसरो को भेजेगा, जो बेहतर भविष्य के निर्माण में मदद करेगा.

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