पिछले दिनों सोशल मीडिया पर रेलवे में परोसे जाने वाले नॉनवेज खाने में हलाल मीट की काफी चर्चा हुई थी. इस दौरान कई रिपोर्ट में दावा किया गया कि ट्रेनों में हलाल मीट ही परोसा जाता है. हालांकि, भारतीय रेलवे ने साफ कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है. भारतीय रेलवे का कहना है कि आईआरसीटीसी सिर्फ वही नॉनवेज खाना देता है जो फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 और FSSAI के नियमों को पूरा करता है.

Continues below advertisement

वहीं हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर कोई अनिवार्यता नहीं है. इस मामले को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है कि क्या मुसलमानों की तरह हिंदू भी हलाल मीट नहीं खाते हैं और इसे लेकर क्या नियम बने बने हुए हैं.

क्या होता है हलाल मीट?

Continues below advertisement

इस्लामी आहार कानून के अनुसार, हलाल वह मांस है जिसे तय इस्लामी नियमों के तहत काटा जाता है. इसमें जानवर जीवित और हेल्दी होना चाहिए. वहीं जानवर को काटने के समय एक खास दुआ तस्मिया पढ़ी जाती है और गले की प्रमुख नसों को एक ही कट में काटा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में खून पूरी तरह निकलने पर जोर होता है, जिसे कई हेल्थ एक्सपर्ट सुरक्षित मानते हैं.

हिंदू धर्म में क्या है मांसाहार को लेकर नियम?

हिंदू हिंदुओं में मांस सेवन को लेकर कोई एक समान नियम नहीं है. उत्तर भारत के कुछ हिस्सों जैसे पंजाब और हरियाणा में लोग अक्सर झटका मांस को प्राथमिकता देते हैं. झटका में जानवर को एक ही बार में मारा जाता है और सिर तुरंत अलग हो जाता है. वहीं कई परिवार धार्मिक अनुष्ठानों, बलि और पारंपरिक कार्यक्रमों में इसी तरीके को मानते हैं. जबकि दक्षिण भारत में स्थिति काफी अलग है, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में हिंदू लोग रेस्टोरेंट और दुकानों से हलाल मीट खरीदते हैं. कई परिवारों में यह सामाजिक प्रथा भी मानी जाती है. वहीं कई पारिवारिक समारोह जैसे काथु, मोट्टा समारोह और गांव के उत्सव में मुस्लिम मेहमानों की सुविधा के लिए हलाल मीट परोसा जाता है.

हलाल और झटका मीट पर राजनीति भी रही है सुर्खियों में

कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हिंदुओं से अपील की थी कि वह हलाल मीट न खाए और परंपरागत झटका मीट की प्रक्रिया को अपनाएं. उनका कहना था कि हर समुदाय को अपने धार्मिक तरीकों का पालन करना चाहिए. इसी तरह महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने मल्हार सर्टिफिकेशन लॉन्च कर हिंदू मीट ट्रेडर्स के लिए अलग पहचान बनाने की बात कही थी. इस बयान पर विपक्ष ने उन्हें कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि मंत्री समाज में धर्म के आधार पर विभाजन पैदा कर रहे हैं. इसके अलावा कई अन्य नेताओं की भी हलाल और झटका मीट को लेकर राजनीति अक्सर चर्चा में रही है. 

ये भी पढ़ें-कितने खतरनाक होते हैं अमेरिका के नेशनल गार्ड्स, भारतीय NSG कमांडो से ज्यादा ताकतवर या कम?