अक्सर अपने लोगों को कहते सुना होगा कि वह दिल्ली, दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिल्ली, नई दिल्ली, एनसीटी और एनसीआर इन शब्दों में आखिर फर्क क्या है. ज्यादातर लोग इन्हें एक ही समझते हैं जबकि हकीकत कुछ ओर ही है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली, नई दिल्ली, एनसीटी और एनसीआर में फर्क क्या है.

दिल्ली 

दिल्ली भारत का एक ऐतिहासिक शहर और केंद्र शासित प्रदेश भी है. यह न सिर्फ देश की राजधानी है बल्कि एजुकेशन, कल्चर और बिजनेस का भी बड़ा केंद्र है. 1993 में इसे आधिकारिक तौर पर नेशनल कैपिटल टेरिटरी का दर्जा दिया गया था. जिसका मतलब है कि दिल्ली और एनसीटी दोनों एक ही क्षेत्र को दर्शाते हैं. दिल्ली कुल 11 जिलों में बंटी है और यहां कहीं ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है. जैसे लाल किला, कुतुबमीनार और हुमायूं का मकबरा. 

नई दिल्ली 

नई दिल्ली, दिल्ली के 11 जिलों में से सिर्फ एक जिला है और यह राजधानी क्षेत्र का सबसे छोटा हिस्सा है. यह पूरे दिल्ली का महज करीब तीन प्रतिशत हिस्सा कवर कर करता है. राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट और मंत्रालय जैसे तमाम प्रशासनिक इमारतें यहीं स्थिति है. नई दिल्ली को ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने 20वीं सदी में डिजाइन किया था. 

एनसीटी, दिल्ली 

एनसीटी दिल्ली, दिल्ली का ही आधिकारिक नाम है, इसमें दिल्ली का पूरा महानगरी क्षेत्र, 11 जिले, सैकड़ों गांव और कस्बे शामिल हैं. यह प्रशासनिक ढांचा केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों के अंतर्गत आता है. 

दिल्ली एनसीआर 

एनसीआर एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि इसके आसपास के कई जिले भी आते हैं. इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल 24 जिले शामिल हैं. 

दिल्ली एनसीआर में हरियाणा,उत्तर प्रदेश और राजस्थान के जिले 

- दिल्ली एनसीआर में हरियाणा का गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रेवाड़ी, पानीपत जैसे 14 जिले शामिल हैं.

- उत्तर प्रदेश से गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर जिले का नोएडा, मेरठ और बुलंदशहर सहित 8 जिले दिल्ली एनसीआर में आते हैं. 

- इनके अलावा राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर दिल्ली एनसीआर का हिस्सा है. 

एनसीआर की अवधारणा इसलिए बनाई गई थी ताकि दिल्ली पर से जनसंख्या और प्रदूषण का बोझ कम किया जा सके और आसपास के क्षेत्रों को भी संतुलित विकास के अवसर मिल पाए.

ये भी पढ़ें-अब कोर्ट के आदेश की सॉफ्ट कॉपी से मिल जाती है जमानत, लेकिन असली-नकली की पहचान कैसे करेगी पुलिस?