Independence Day 2025: दिल्ली मे स्थित लाल किला न केवल भारत की शान है बल्कि इतिहास और संस्कृति का एक अनमोल प्रतीक भी है. हर साल 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं. हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर शान से लहराता है. जिसे देख हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिसे हम 'लाल किला' कहते हैं, वह पहले लाल रंग का था ही नहीं? आइये जानते हैं किर जिस लाल किले को हम उसके रंग के कारण लाल किला कहते हैं वो पहले किस रंग का था और उसे कब और किसने पेंट करवाया था?
पहले किस रंग का था लाल किला
लाल किल किले का पुराना नाम 'किला-ए-मुबारक' था बाद में. मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं सदी में इसका निर्माण करवाया था. जिसे बनाने में एक दशक लग गए. इस किले को सम्राट की शक्ति और भव्यता के प्रतीक के रूप में बनाया गया था. यह किला मुगल वास्तुकला का शानदार नमूना है, जिसमें फारसी, तैमूरी और हिंदू शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है. यह किला मूल रूप से सफेद रंग का था क्योंकि जब शाहजहां ने इसे बनवाया तो किले की दीवारें और कई हिस्से सफेद चूने और संगमरमर से बने थे जो इसे एक चमकदार सफेद रूप देते थे.
किसने करवाया पेंट
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद जब अंग्रेजों ने किले पर कब्जा किया तो उन्होंने इसकी देखरेख शुरू की. समय के साथ-साथ सफेद चूने की दीवारें खराब होने लगीं जिसके बाद 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने किले की मरम्मत के दौरान इसकी दीवारों को लाल रंग से रंगवाया. यह निर्णय न केवल संरक्षण के लिए था बल्कि लाल बलुआ पत्थर की मजबूती और उस समय की प्रचलित सामग्री के उपयोग के कारण भी लिया गया. इसके बाद से यह किला 'लाल किला' के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
लाल किला क्यों है खास
लाल किला भारत की आजादी और गौरव का प्रतीक है. 15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार अंग्रेजी हुकूमत का झंडा उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया और स्वतंत्र भारत की शुरुआत की थी. तब इसे सत्ता के केंद्र के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया. तब से यह परंपरा हर स्वतंत्रता दिवस पर जारी है.
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