Delhi Metro Fares: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने छात्रों के लिए एक वादे का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद छात्रों के लिए दिल्ली मेट्रो का सफर सस्ता हो जाएगा और उन्हें किराए में 50 फीसदी की रियायत मिलेगी. आम आदमी पार्टी चुनाव तो जीती नहीं, लेकिन भाजपा के चुनाव जीतने के बाद एक खबर सामने आई, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद दिल्ली मेट्रो के किराए में 50 फीसदी की वृद्धि कर दी गई, इससे मेट्रो का सफर महंगा हो गया. 

कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए, दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ने का दावा किया गया, जिसके बाद दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) ने स्पष्टीकरण जारी कर इस अफवाह को खारिज किया. मेट्रो ने अपने बयान में कहा था कि मेट्रो का किराया नहीं बढ़ाया गया है और किराया पहले की तरह ही बना हुआ है. अब सवाल यह है कि दिल्ली मेट्रो का किराया कौन बढ़ाता है और इसमें किस हिसाब से इजाफा हेाता है? आइए जानते हैं... 

केंद्र और राज्य का वेंचर है दिल्ली मेट्रो

बता दें, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोशन केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त उद्यम है. ऐसे में मेट्रो परियोजनाओं में आने वाला खर्च दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार मिलकर उठाते हैं. जानकारी के मुताबिक, इसमें दोनों की हिस्सेदारी 50-50 फीसदी की होती है. इसलिए किराए में संशोधन दोनों सरकारें मिलकर ही करती हैं. 

कौन बढ़ा सकता है किराया?

दिल्ली मेट्रो के किराए में संशोधन करने के लिए नियम बनाए गए हैं. डीएमआरसी ने अपने बयान में कहा था कि मेट्रो में किराए में संशोधन फेयर फिक्सेशन कमेटी के गठन के बिना नहीं किया जा सकता है. यह सरकार की ओर से चुनी गई स्वतंत्र कमेटी होती है, जिसमें इस विषय ये जुड़े एक्सपर्ट शामिल होते हैं. यह कमेटी ही किराए को बढ़ाने या घटाने का प्रस्ताव देती है. ऐसे में स्पष्ट है कि इस कमेटी के गठन के बिना किराए में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. 

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