Darjeeling: जब गर्मियां आती हैं, तो आप किसी अनोखी जगह की तलाश करते होंगे, जहां शांति का आनंद लिया जा सके और भीड़-भाड़ न हो. हालांकि, यदि आप उसी स्थान पर प्रदूषण से ग्रस्त हों और भीड़ दिखें, तो आपका घूमने का मन मिट्टी में मिल जाएगा. शिमला और नैनीताल जैसे स्थानों को लोग रोजमर्रा के पिकनिक स्पॉट के रूप में मानते हैं, लेकिन अब दार्जिलिंग भी इस सूची में शामिल हो गया है.


दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल का यह हिल स्टेशन, समुद्रतल से 6,700 फीट से ऊंचा स्थान होने के कारण आने वाले समय में सबसे प्रदूषित जगह या हिल स्टेशन बन सकता है. एक अध्ययन के अनुसार, जो कोलकाता के बोस संस्थान और आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था, दार्जिलिंग जल्द ही बंगाल के अन्य छह शहरों की सूची में शामिल हो सकता है, जिनका कोई खास महत्व नहीं रहेगा भविष्य में.


दार्जिलिंग सबसे अधिक प्रदूषित हो सकता है.


बोस संस्थान और आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं के अनुसार, गर्मियों में दार्जिलिंग में PM10 (पार्टिकुलेट मैटर 10) का स्तर 105 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (µg/m³) तक पहुंच सकता है, जबकि सर्दियों में यह स्तर 90 µg/m³ से अधिक भी हो सकता है. यह जान लें कि किसी भी स्थान के राष्ट्रीय मानक 60 µg/m³ होता है, इससे अधिक स्तर उस स्थान को प्रदूषित बना देता है. इस बात को हम सभी जानते हैं कि गर्मियों में लोग सबसे अधिक हिल स्टेशन पर जाते हैं और दार्जिलिंग में भी एक बड़ी संख्या में भीड़ देखी जा सकती है. एक अध्ययन के अनुसार, यह स्तर 2018 के डेटा को भी पार कर चुका है. जानकारी के अनुसार, यदि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं निकाला जाता है, तो दार्जिलिंग का वायुमंडल 10 साल में दिल्ली की सेर को भी अधिक खराब कर सकता है.


दार्जिलिंग में वायु प्रदूषण का कारण


जहां भीड़ की संख्या बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है. गर्म गतिविधियों के कारण वाहनों की संख्या बढ़ जाती है. जहां सर्दियों में यह संख्या 20% रहती है, वहीं गर्मियों में यह 33% से भी अधिक हो जाती है. प्रदूषण के कुछ अन्य स्रोत भी मौजूद हैं, जैसे बायोमास चुनौती का सामना करना. दार्जिलिंग एक ठंडा स्थान है, जिसके कारण अधिकांश चीजों में हीटिंग एनर्जी की आवश्यकता होती है.


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