Covid Treatment: कोविड ने अपने देश में ही करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. भारत में मुश्किल से ही कोई घर होगा, जहां कोरोना ने दस्तक न दी हो. ओमीक्रॉन वेरिएंट और डेल्टा वेरिएंट कहर तो देश, दुनिया की सुर्खियों में छाया रहा. भारत में डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आकर हजारों लोगों की मौत हो गई. वायरस अभी भी हवा में तैर रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना ने कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अधिक सताया. लेकिन जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहा. उनकी बॉडी में घुसा तो सही, मगर नुकसान कुछ नहीं कर सका. 


यूके में 10 में से एक व्यक्ति को नहीं हुआ कोविड
चीन में कोरोना वायरस को उभरे और पूरी दुनिया में कहर बरपाते हुए करीब तीन साल हो गए हैं. BBC के अनुसार, गर्मियों में एक अनुमान के अनुसार यूके में लगभग 10 में से एक व्यक्ति अभी तक संक्रमित नहीं हुआ. साइंटिस्ट और डॉक्टर यह देखकर हैरान हैं और यही जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह महज संयोग है या कुछ और. कोरोना कुछ लोगों के नजदीक तक फटक नहीं सका. 


इसलिए नहीं हुए संक्रमित
लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में क्यों नहीं आए? इसकी जांच करना साइंटिस्ट के लिए महत्वपूर्ण सब्जेक्ट बना हुआ है. जांच में इसके पीछे कुछ वजह सामने आईं. सामान्य कारणों में से एक यह हो सकता है कि ये लोग वास्तव में संक्रमित हो गए हैं, लेकिन उनमें वायरल लोड इतना कम रहा हो कि उनमें कोविड की पहचान ही नहीं हो सकी. अन्य वजह यह रही हो कि लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन किया हो और वह कभी वायरस की चपेट में नहीं आए हो. यह भी हो सकता है कि जब भी कुछ लोग वायरस के संपर्क में आए हो. उनकी बॉडी में मौजूद एंटीबॉडी ने तुरंत ही वायरस को खदेड़ कर बाहर कर दिया हो. 


अन्य स्टडी में भी यह आया सामने
जामा नेटवर्क ओपन पत्रिका में एक अगस्त 2022 को स्टडी पब्लिश हुई. स्टडी में सामने आया कि अध्ययन में शामिल 210 लोगों में से 56 प्रतिशत लोगों ओमीक्रॉन वायरस की चपेट में आए. लेकिन उन्न्हें इसकी जानकारी नहीं हो सकी. बहुत सारे लोगों मेें कोविड के हल्के लक्षण दिखे तो उन्होंने इसे कोई और बीमारी संमझकर गंभीरता से नहीं लिया. एक अन्य अध्ययन में, वायरस को 34 स्वस्थ लोगों की नाक में डाल दिया गया. लेकिन आधे लोग ही इससे बीमार हुए.


ये भी पढ़ें: Rectal Cancer: अक्सर ठंडी के साथ बुखार की होती है शिकायत, तो ना करें नजरअंदाज, हो सकता है रेक्टल कैंसर का खतरा