चीन लगातार अपने रक्षा विभागों को मजबूत कर रहा है और भारत के लिए खतरा बनता जा रहा है. कुछ महीने पहले चीन ने म्यांमार के बॉर्डर के पास युन्नान प्रांत में एक बड़ा लार्ज फेज्ड ऐरे रडार (LPAR) सिस्टम तैनात किया है. इस सिस्टम का दायरा 5000 किमी. से भी ज्यादा का बताया जाता है. इस रडार की मदद से चीन भारत के मिसाइल कार्यक्रम पर नजर रख सकता है. आमतौर पर किसी दूसरे देश पर इस तरीके से नजर कोई दुश्मन देश ही रखता है, या फिर जिस देश के साथ उससे संबंध बहुत अच्छे न हों और उसे डर हो कि दुश्मन उस पर हमला करने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है. ऐसे में देश एक-दूसरे पर नजर बनाए रखते हैं.
किसी भी देश पर नजर रखने के लिए उस देश के कानून उस देश की सरकार और उनके नियमों पर निर्भर करता है. सरकारें नियम और कानून बनाती हैं, जो कि नागरिकों के कम्युनिकेशन, इंटरनेट के इस्तेमाल और डेटा कलेक्शन पर निर्भर करता है. सरकारें अन्य देशों के साथ मिलकर खुफिया जानकारी शेयर करने और अंतरराष्ट्रीय समझौते के लिए सहयोग करती हैं.
किसी देश पर कैसे नजर रखते हैं देश
- किसी भी दूसरे देश परनजर रखने के कई तरीके हैं, जिनमें खुफिया जानकारी को जुटाना, सैटेलाइट से निगरानी करना, राजनयिक संबंध और आर्थिक विश्लेषण शामिल हैं.
- खुफिया जानकारी की बात करें तो खुफिया एजेंसियां विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करती हैं, जैसे कि मानव खुफिया तंत्र, सिग्नल इंटेलिजेंस और इमेजिंग इंटेलिजेंस आदि के जरिए. यह जानकारी विश्लेषण के लिए भेजी जाती है, जिससे कि संभावित खतरों का पता लगाया जा सके.
- सैटेलाइट के जरिए निगरानी, सैन्य तैनाती और बुनियादी ढांचे का निरीक्षण करने के लिए की जाती है. असल में यह जानकारी उसी समय में या फिर बाद के विश्लेषण के लिए इकट्ठी की जाती है.
- इसके अलावा राजनयिक संबंध स्थापित करके भी महत्वपूर्णं जानकारी इकट्ठी की जा सकती है. राजदूत और अन्य राजनयिक विभिन्न देशों में होने वाली घटनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी इकट्ठे करते हैं.
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