सेना और पुलिसकर्मियों की वर्दी सिर्फ कपड़ा नहीं होती, बल्कि यह एक पहचान है, एक जिम्मेदारी है और एक वचन है जिसे हर पुलिसकर्मी निभाने की कसम खाता है. लेकिन क्या यह पहचान रिटायरमेंट के बाद भी बनी रहती है? क्या एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अपने पुराने गौरव के प्रतीक, यानी वर्दी, को फिर से पहन सकता है? सवाल सिंपल हैं, मगर इनके जवाब में छिपी है अनुशासन, सम्मान और कानून की गहराई, जो हर पुलिस कर्मी के जीवन का अहम हिस्सा होती है. आइए जानते हैं.

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क्या दोबारा पहन सकते हैं वर्दी

रिटायरमेंट किसी पुलिसकर्मी के जीवन का सबसे भावनात्मक पल होता है. वर्षों तक कानून व्यवस्था बनाए रखने के बाद जब वर्दी उतरती है, तो उसके साथ कई यादें और गर्व की भावना भी उतरती हैं, लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सेवा समाप्त होने के बाद भी कोई पुलिस अधिकारी वर्दी पहन सकता है? इसका जवाब सीधा है नहीं, आम तौर पर ऐसा करने की इजाजत नहीं होती है.

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रिटायरमेंट के बाद क्यों वर्दी पहनना नियमों के खिलाफ

वर्दी पुलिस की सक्रिय सेवा का प्रतीक है. इसका मतलब है कि जिसने वर्दी पहनी है, वह वर्तमान में ड्यूटी पर है और राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभा रहा है. सेवानिवृत्त होने के बाद यह जिम्मेदारी खत्म हो जाती है, इसलिए उस स्थिति में वर्दी पहनना नियमों के खिलाफ माना जाता है.

भारत में पुलिस अधिनियम 1861 और उसके बाद के संशोधन स्पष्ट करते हैं कि वर्दी का उपयोग केवल सक्रिय ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के लिए वैध है. रिटायर होने के बाद अगर कोई अधिकारी बिना अनुमति वर्दी पहनता है, तो इसे कानूनी उल्लंघन माना जा सकता है. कई बार इसे फोर्स की पहचान का अनुचित उपयोग की श्रेणी में भी रखा जाता है.

किन परिस्थितियों में पहनी जा सकती है पुलिस की वर्दी

हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में रिटायर्ड कर्मियों को वर्दी पहनने की अनुमति मिल सकती है. उदाहरण के लिए, अगर कोई औपचारिक समारोह हो, जैसे कि पुलिस स्मृति दिवस, वीरता सम्मान कार्यक्रम, या किसी राज्य स्तरीय आयोजन में आमंत्रण तो संबंधित विभाग की अनुमति मिलने पर वर्दी पहनी जा सकती है. लेकिन यह अनुमति केवल समारोह की अवधि तक सीमित होती है.

वर्दी पहनने को लेकर समाज में भी दो तरह की सोच देखी जाती है. एक पक्ष मानता है कि वर्दी किसी पुलिस अधिकारी की आजीवन पहचान है, इसलिए उसे विशेष अवसरों पर पहनने की आजादी मिलनी चाहिए. वहीं दूसरा पक्ष कहता है कि वर्दी केवल सक्रिय सेवा का प्रतीक है, इसलिए इसे रिटायरमेंट के बाद पहनना अनुशासन के खिलाफ है.

नहीं है पूरी यूनिफॉर्म पहनने की इजाजत

सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी चाहें तो अपने मेडल, रैंक चिन्ह या बैज को औपचारिक ड्रेस या नागरिक कपड़ों पर प्रदर्शित कर सकते हैं, लेकिन पूरी वर्दी पहनने की इजाजत नहीं होती है. कुछ वरिष्ठ अधिकारी, जिन्हें राष्ट्रपति पदक या विशेष सम्मान मिला होता है, उन्हें सम्मानजनक अवसरों पर सेरेमोनियल यूनिफॉर्म में बुलाया जा सकता है, लेकिन यह अपवाद की श्रेणी में आता है.

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