Palestine Recognition: यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र  देश  के रूप में मान्यता दी है. अब फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या लगभग 150 हो चुकी है. मान्यता देने वालों में इजरायल के कई सहयोगी देश भी शामिल हैं. जैसे-जैसे फिलिस्तीन को मान्यता मिलती जा रही है इजरायल पर गाजा में मानवीय संकट को कम करने का दबाव बढ़ रहा है. फ्रांस में भी बात की घोषणा की है कि वह इस हफ्ते यूएन में फिलिस्तीन को मान्यता देने के पक्ष में वोट करेगा.लेकिन इसी बीच एक यह सवाल उठता है कि क्या कोई देश बाद में फिलिस्तीन को दी गई अपनी मान्यता वापस ले सकता है? आइए जानते हैं. मान्यता वापस लेने की संभावना

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दरअसल कोई भी देश फिलिस्तीन को दी गई अपनी मान्यता वापस ले सकता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून ऐसे कदमों पर सावधानी जरूर बताता है. इसके पीछे कारण यह है कि इसके परिणाम काफी ज्यादा जटिल होते हैं. कोई भी मान्यता पूरी तरह से कानूनी नहीं होती यह बस एक राजनीतिक कदम है. मान्यता के प्रकार

दरअसल मान्यता को दो श्रेणियां में बांटा गया है. एक होती है वास्तविक (de facto) और दूसरी होती है कानूनी (de jure). वास्तविक मानता अस्थाई होती है. देश इस मान्यता को वापस ले सकता है यदि देश कुछ शर्तों को पूरा करने में सफल हो जाता है. दूसरी तरफ कानूनी मान्यता किसी भी  देश  की संप्रभुता की पूर्ण और औपचारिक मान्यता है. कानूनी मान्यता को वापस लेना काफी पेचीदा है और आमतौर पर सिर्फ मुश्किल घड़ी में ही इस पर विचार किया जाता है. जैसे देश की सरकार का पतन होना. मान्यता के पहलू दरअसल मान्यता एक राजनीतिक निर्णय होता है. यदि राष्ट्रीय या फिर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में कुछ बदलाव आते हैं तो राजनीतिक मान्यता को वापस लिया जा सकता है. जबकि कानूनी मान्यता के कुछ उलझे पेंच होते हैं जो इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वापस लेने में मुश्किल खड़ी करते हैं. मान्यता वापस लेने की प्रक्रिया

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यदि कोई भी देश मान्यता को वापस लेना चाहता है तो उसे अपना निर्णय बताना होगा. यह निर्णय सार्वजनिक घोषणा के जरिए बताया जा सकता है. फिलहाल लगभग डेढ़ सौ देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी है. लेकिन आपको बता दें कि यह देश पूरी तरह से संप्रभुता का इस्तेमाल नहीं कर पाता और इसकी सीमाएं भी तय नहीं है. वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

इजराइल के सहयोगी देशों के साथ कई बड़े देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने से विवाद को एक नया मोड़ दिया है. आपको बता दें कि सिद्धांत रूप से मान्यता को वापस लेना संभव है लेकिन यह आसान नहीं है. साथ ही इसके कई कानूनी और राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं.

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