ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग में अब अमेरिका भी कूद चुका है. अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से बम गिराए हैं, जिसमें ईरान को बड़ा नुकसान हुआ है. इजरायल ने अमेरिका की ओर से किए गए इस हमले और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाए जाने की कार्रवाई का स्वागत किया है. बता दें, इजरायल ने 13 जून को ईरान पर किए गए हमलों में परमाणु ठिकानों को ही निशाना बनाया था.
इजरायल का मानना है कि अगर ईरान परमाणु बम बना लेता है तो वह पहला हमला इजरायली लोगों पर ही करेगा. इस खतरे को देखते हुए इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. उधर, ईरान ने भी परमाणु क्षमता हासिल करने की कसम खाई है और इसके लिए यह मुल्क दशकों से प्रयास कर रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि ईरान अन्य हथियारों की तरह किसी देश से परमाणु बम खरीद क्यों नहीं सकता? क्या दुनिया के बड़े देश परमाणु हथियारों को भी बेच सकते हैं? चलिए जानते हैं इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम क्या हैं...
सिर्फ 9 देशों के पास है परमाणु बम
दुनिया में सिर्फ 9 देश ही ऐसे हैं, जिनके पास घोषित तौर पर परमाणु हथियार हैं. इन देशों में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं. हालांकि, 1970 में हुई परमाणु अप्रसार संधि के तहत सिर्फ पांच देशों रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन को ही परमाणु हथियार रखने का अधिकार है. ये वे देश हैं जिन्होंने इस संधि के अस्तित्व में आने से पहले ही परमाणु बम बना लिए थे.
क्या कोई देश बेच सकता है परमाणु हथियार?
दुनिया के कई देशों के बीच हथियारों को लेकर डील होती है, जिसमें मिसाइलों से लेकर ड्रोन और फाइटर जेट से लेकर टैंक तक बेचे जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई देश इन हथियारों की तरह परमाणु हथियार भी बेच सकता है? यह सवाल जितना आसान है, उसका जवाब उतना ही कठिन है. दरअसल, परमाणु बम वह हथियार है जो दुनिया में कभी भी तबाही ला सकता है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र इनके इस्तेमाल, खरीद-फरोख्त पर गहन निगरानी रखता है. वहीं दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देश भी यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई देश परमाणु हथियार या उसकी टेक्नोलॉजी को किसी दूसरे देश को बेच न सके.
क्या हैं अंतरराष्ट्रीय नियम?
परमाणु हथियारों को प्रसार को रोकने के लिए 1970 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) बनाई गई थी. इस संधि पर कई देशों ने हस्ताक्षर किए थे. संधि का मकसद परमाणु हथियारों के खतरे को कम करना था व अन्य देशों को इस हथियार को बनाने से रोकना था. हालांकि, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे और इन देशों ने बाद में परमाणु हथियार बना भी लिए. ऐसे में ये देश NPT के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं. हालांकि, कोई देश किसी अन्य देश को परमाणु हथियार बेचता है तो इसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाएगा. ऐसे में उस देश को अंतरराष्ट्रीय दबाव व कई तरह के प्रतिबंध भी झेलने पड़ सकते हैं.
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