भारत का राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और संविधान में राष्ट्रपति को एक खास भूमिका दी गई है. राष्ट्रपति भारतीय लोकतंत्र के संवैधानिक संरक्षक होते हैं और उनका काम राष्ट्र की एकता, अखंडता और संविधान की रक्षा करना होता है, लेकिन क्या भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Certainty Movement) लाया जा सकता है? चलिए आज इस सवाल का जवाब जानते हैं.

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राष्ट्रपति के खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव?

भारतीय संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति का चुनाव राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है और चुना गया व्यक्ति देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद होते हैं. लेकिन एक जरुरी सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. तो बता दें कि संविधान में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कोई व्यवस्था नहीं है. राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित रूप से पांच वर्षों का होता है और यदि उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन्हें हटाना हो, तो इसके लिए एक खास प्रक्रिया निर्धारित की गई है.

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राष्ट्रपति को उनके पद से कैसे हटाया जा सकता है?

भारत के संविधान में राष्ट्रपति को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था नहीं है, लेकिन यदि राष्ट्रपति के खिलाफ अनुशासनहीनता, अपराध या अन्य गंभीर कारणों के आरोप हों, तो उन्हें केवल इम्पीचमेंट (Reprimand) के जरिये हटाया जा सकता है. राष्ट्रपति के खिलाफ इम्पीचमेंट प्रोसेस संसद द्वारा तय की जाती है और यह प्रक्रिया काफी कठिन होती है.

बता दें संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति के खिलाफ इम्पीचमेंट प्रस्ताव लाने के लिए संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में एक खास प्रक्रिया अपनानी होती है. इस प्रक्रिया में सबसे पहले किसी सांसद को राष्ट्रपति के खिलाफ इम्पीचमेंट प्रस्ताव पेश करना होता है. यदि इस प्रस्ताव को लोकसभा या राज्यसभा में कम से कम 1/4th सदस्य समर्थन करते हैं, तो उसे संसद के दोनों सदनों में बहस के लिए लाया जा सकता है. इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए दोनों सदनों में 2/3 बहुमत की जरुरत होती है. अगर दोनों सदनों में इम्पीचमेंट प्रस्ताव पास हो जाता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है.

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