बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखें नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे वोटिंग प्रक्रिया को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज हैं कि अगर वोट डालते वक्त मशीन खराब हो जाए तो क्या वोटिंग रुक जाएगी?, क्या उस मशीन को वहीं बदल दिया जाता है? या क्या इससे नतीजों पर असर पड़ता है? इन सारे सवालों का जवाब चुनाव आयोग के पास पहले से तैयार है और यह जवाब 1951 के जनप्रतिनिधित्व कानून में दर्ज है. आइए समझें.

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ईवीएम खराब होने पर क्या है नियम

इस कानून के सेक्शन 58 में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर किसी मतदान केंद्र पर वोटिंग के दौरान कोई EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन खराब हो जाए, चोरी हो जाए, नष्ट कर दी जाए या किसी भी तरह की मैकेनिकल या टेक्निकल एरर आ जाए जिससे चुनाव के परिणाम पर असर पड़ने की संभावना हो, तो उस स्थिति में रिटर्निंग ऑफिसर तुरंत चुनाव आयोग को रिपोर्ट करता है.

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इसके बाद चुनाव आयोग सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखकर यह तय करता है कि उस बूथ पर हुई वोटिंग को रद्द किया जाए या दोबारा कराई जाए. यानी अगर मशीन की खराबी गंभीर पाई जाती है, तो उस केंद्र पर री-पोल (Re-Poll) कराया जाता है.

ईवीएम खराब होने पर क्या रोक दी जाती है वोटिंग

अब सवाल है कि अगर मशीन सिर्फ थोड़ी देर के लिए खराब हो जाए तो क्या वोटिंग रोक दी जाती है? तो नहीं, ऐसा नहीं होता है. दरअसल, हर मतदान केंद्र पर अतिरिक्त यानी बैकअप EVM मशीनें पहले से रखी जाती हैं. जैसे ही किसी बूथ पर मशीन खराब होती है, तकनीकी अधिकारी मौके पर पहुंचकर तुरंत पुरानी मशीन को बंद कर देता है और नई मशीन को जोड़कर वोटिंग दोबारा शुरू कर दी जाती है. इससे वोटिंग में ज्यादा देर तक रुकावट नहीं आती और चुनाव निष्पक्ष तरीके से चलता रहता है.

कब दोबारा होती है वोटिंग

चुनाव आयोग का मानना है कि मशीनें भी इंसानों की तरह तकनीकी रूप से फेल हो सकती हैं, लेकिन सिस्टम इतना मजबूत बनाया गया है कि किसी भी खराबी से मतदान की पारदर्शिता या विश्वसनीयता पर कोई असर नहीं पड़ता. अगर आयोग को लगता है कि किसी बूथ पर आई खराबी का असर नतीजों पर नहीं पड़ेगा, तो वो मतदान रद्द नहीं करता, बल्कि आगे की प्रक्रिया जारी रखता है. लेकिन अगर खराबी बड़ी हो और वोटिंग डेटा प्रभावित हो, तो फिर पूरे केंद्र पर दोबारा वोटिंग कराई जाती है.

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