Bihar Assembly Election 2025: बिहार में 6 और 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां काफी तेजी से चल रही हैं. इसके नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. इसी बीच मतदान तकनीक को लेकर चर्चाएं भी तेज हो रही हैं. एक सवाल लोगों के बीच खड़ा हो रहा है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन वास्तव में कितने वोट को रिकॉर्ड कर सकती है. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.

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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की क्या है वोटिंग सीमा 

हर ईवीएम को सही तरीके से चलाने के लिए और सिस्टम ओवरलोड को रोकने के लिए एक खास क्षमता से बनाया जाता है. मशीन के अंदर की मेमोरी और कंट्रोल यूनिट बिना किसी गलती के 2000 वोटों तक संग्रहित कर सकती है. इस सीमा से आगे जाने पर तकनीकी जोखिम हो सकते हैं. यही वजह है कि चुनाव आयोग हर ईवीएम वोट की कुल संख्या को सीमित करता है.

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मतदान केंद्रों का कुशलता पूर्वक प्रबंधन 

इतना ही नहीं बल्कि चुनाव आयोग ने प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या की भी सीमाएं तय की है. एक मतदान केंद्र पर 1500 से ज्यादा मतदाता नहीं रखे जाते. इससे यह सुनिश्चित होता है कि मतदान सुचारू रूप से चला रहे और ईवीएम की क्षमता का भी काफी अच्छे तरीके से इस्तेमाल हो. ज्यादा मतदाता संख्या वाले मतदान केंद्र के लिए आयोग द्वारा अतिरिक्त ईवीएम रखी जाती है.

मतपत्र और नियंत्रण इकाइयों की भूमिका 

एक ईवीएम में दो मुख्य भाग होते हैं. पहला होता है मतपत्र इकाई और दूसरा होता है नियंत्रण इकाई. मतपत्र इकाई के जरिए मतदाता वोट डालते समय संपर्क करते हैं. वहीं मतदान अधिकारियों द्वारा प्रबंधित नियंत्रण इकाई सभी दर्ज मतों को सुरक्षित रूप से इकट्ठा करती है. 

एक मतपत्र इकाई ज्यादा से ज्यादा 16 उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह को दिखा सकती है. यदि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार की संख्या 16 से ज्यादा है तो अतिरिक्त मतपत्र इकाई को एक साथ जोड़ा जा सकता है. एक नियंत्रण इकाई ज्यादा से ज्यादा चार मतपत्र इकाइयों से जुड़ सकती है. हालांकि ईवीएम द्वारा दर्ज किया जा सकने वाले मतों की कुल संख्या अभी भी 2000 तक ही सीमित रहती है. 

इस सीमा से निष्पक्षता और तकनीकी दक्षता को बनाए रखने में काफी मदद मिलती है. इससे चुनाव आयोग मशीन की खराबी या फिर डेटा के बेमेल होने के जोखिम को कम करता है. हर चुनाव से पहले ईवीएम की विश्वसनीयता को पक्का करने के लिए कई मॉक पोल और रेंडम जांच की जाती है.

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