Ministers In Government: आज यानी 20 नवंबर को नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके साथ मंत्रिमंडल ने भी शपथ ली. जिसमें कुल 26 मंत्री शामिल थे. कई बार लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि एक सरकार में कुल कितने मंत्री हो सकते हैं. वह भी तब जब किसी राज्य या केंद्र में कैबिनेट विस्तार होता है और नए चेहरे जुड़ते हैं. क्या किसी को भी अपनी मर्जी के हिसाब से मंत्री बनाया जा सकता है.
या फिर इसके पीछे संविधान में बने कोई नियम चलते हैं. जिनके हिसाब से केंद्र और राज्यों में मंत्रियों की संख्या सीमित रहती है. अक्सर लोग यह भी जानना चाहते हैं कि मंत्री पदों की संख्या कैसे तय होती है और कब इसमें बदलाव कैसे होता है. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.
मंत्रियों की संख्या तय कैसे होती है?
किसी सरकार में मंत्रियों की संख्या तय करने का आधार 91वां संविधान संशोधन है. सरकार में कुल कितने मंत्री होंगे. यह सीधे तौर पर सदन की कुल संख्या पर निर्भर करता है. केंद्र में लोकसभा की संख्या के हिसाब से और राज्यों में उनकी विधानसभा के आधार पर यह सीमा तय होती है. इसका मकसद यह है कि सरकार बिना जरूरत के बड़ी न बने और संसाधनों पर अलग से बोझ न पड़े.
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पहले कई जगह मंत्री पद राजनीतिक रिआयतों के रूप में बांट दिए जाते थे. जिससे कैबिनेट जरूरत से ज्यादा बड़ी हो जाती थी. अब इस नियम से इस पर रोक लगी है. अब केंद्र और राज्य दोनों जगह यह संख्या 15 प्रतिशत की सीमा के भीतर ही रखनी होती है. छोटे राज्यों के लिए 12 मंत्रियों की न्यूनतम सीमा अलग से तय की गई है.
कैबिनेट में किसे मंत्री बनाया जाता है?
मंत्री चुनने का अधिकार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के पास होता है. वह तय करते हैं कि किस जगह, अनुभव और राजनीतिक जिम्मेदारी के आधार पर किसे मौका दिया जाए. कैबिनेट मंत्री आमतौर पर बड़े और अहम मंत्रालयों को संभालते हैं. स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों के पास विभाग तो पूरा होता है. लेकिन वह सीधे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं.
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राज्य मंत्री किसी बड़े मंत्री की सहायता करते हैं और कई बार विभाग में खास कामों को संभालते हैं. हालांकि उन्हें चुनने की प्रक्रिया राजनीतिक होती है. लेकिन संख्या सीमा तय होने की वजह से केवल वही लोग चुने जाते हैं जिन पर भरोसा किया जा सके.
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