Bihar Chunav Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की गिनती अपने आखिरी पड़ाव पर है. हर राउंड के साथ किसी की उम्मीदें बढ़ रही हैं तो किसी का गणित गड़बड़ा रहा है, लेकिन जैसे-जैसे रुझान सामने आ रहे हैं, एक सवाल लोगों के मन में उठने लगा है कि क्या जो उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है, वह उसी पल विधायक बन जाता है? या फिर इसके लिए किसी औपचारिक प्रक्रिया का इंतजार करना पड़ता है? जवाब थोड़ा दिलचस्प है, क्योंकि जीत की घोषणा ही सब कुछ नहीं होती है. असली मोहर तो इलेक्शन कमीशन का सर्टिफिकेट लगाता है.

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कैसे जीत के दर्जे तक पहुंचता है विधायक?

दरअसल, जब मतगणना पूरी हो जाती है और रिटर्निंग ऑफिसर (RO) आधिकारिक रूप से यह तय कर देते हैं कि किस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं, तो पहले सिर्फ एक घोषणा की जाती है. इस घोषणा के बाद भी उम्मीदवार तब तक विधायक नहीं माना जाता जब तक उसे जीत का प्रमाण पत्र यानी सर्टिफिकेट ऑफ इलेक्शन (Certificate of Election) नहीं मिल जाता. यह सर्टिफिकेट वही दस्तावेज है जो किसी उम्मीदवार को विजेता से विधायक के दर्जे तक पहुंचाता है.

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कौन देता है सर्टिफिकेट?

यह सर्टिफिकेट रिटर्निंग ऑफिसर के हस्ताक्षर और निर्वाचन आयोग की मुहर से जारी होता है. उम्मीदवार को इसे खुद जाकर लेना पड़ता है, और अक्सर यही पल सबसे भावनात्मक होता है. जब जनता के भरोसे की जीत आधिकारिक दस्तावेज के रूप में हाथ में आती है. इस सर्टिफिकेट पर उस सीट का नाम, कुल पड़े वोटों की संख्या और विजेता उम्मीदवार का नाम लिखा होता है.

इसके बाद क्या होता है?

हालांकि, इसके बाद भी औपचारिक प्रक्रिया यहीं खत्म नहीं होती है. विधानसभा में बतौर सदस्य शामिल होने के लिए विजेता को विधानसभा सचिवालय में शपथ ग्रहण करनी होती है. उसके बाद ही वह विधायक के अधिकारों का प्रयोग कर सकता है, जैसे वेतन, सरकारी आवास या विधानसभा में बोलने का अधिकार आदि. अगर किसी सीट पर नतीजों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की जाती है, तो उस सर्टिफिकेट की वैधता अदालत के फैसले पर भी निर्भर कर सकती है. यानी चुनाव जीतने के बाद भी कभी-कभी विधायक बनने का रास्ता कानूनी लड़ाई से गुजरता है.

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