Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनावों के दोनों चरणों का मतदान 6 और 11 नवंबर को पूरा हो चुका है. अब कल यानी 14 नवंबर को चुनाव के नतीजों का ऐलान होना है. वोटों की गिनती से पहले सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि इन दिनों के बीच आपकी वोटिंग मशीन यानी ईवीएम कहां रखी जाती है और उसके सुरक्षा कौन करता है. कई लोगों के मन में यह भी सवाल उठता है कि क्या इस दौरान ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ संभव है.
इन सवालों को लेकर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश बताते हैं कि मतदान खत्म होते ही हर जिले में ईवीएम को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है और वहां सुरक्षा के बहुत कड़े इंतजाम किए जाते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि वोटों की गिनती से पहले ईवीएम स्ट्रांग रूम की चाबी किसके पास होती है और इसके निगरानी कौन करता है? कहां रखा जाता है आपका वोट? वोटिंग खत्म होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. इसे स्ट्रांग रूम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार मशीन अंदर चली जाने के बाद कोई भी व्यक्ति वहां प्रवेश नहीं कर सकता है. अगर किसी विशेष स्थिति में अंदर जाना जरूरी हो तो निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है. अनुमति मिलने के बाद भी कोई व्यक्ति अकेले अंदर नहीं जा सकता है, बल्कि उसे सुरक्षाकर्मियों और अधिकृत अधिकारियों के साथ ही अंदर जाया जा सकता है. स्ट्रांग रूम किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी या बिल्डिंग में नहीं बनाया जा सकता है, यह हमेशा सरकारी भवनों में ही बनता है. जिला मजिस्ट्रेट खुद स्ट्रांग रूम का निरीक्षण करते हैं और सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेते हैं. इस जगह का चयन पहले ही कर चुनाव आयोग को भेजा जाता है. इसके अलावा स्ट्रांग रूम ऐसी जगह नहीं हो सकता है, जहां बाढ़ या आग लगने का खतरा हो या पास में काम चल रहा हो.
स्ट्रांग रूम में होती है तीन लेवल की सुरक्षा स्ट्रांग रूम की सुरक्षा तीन स्तरों पर होती है, जिसमें पहला घेरा यानी अंदरूनी सुरक्षा होती है. इसमें केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के जवानों को निगरानी की जिम्मेदारी दी जाती है. इसके बाद दूसरा घेरा यानी मध्य स्तर की सुरक्षा भी केंद्रीय बलों के नियंत्रण में रहती है. वहीं तीसरा घेरा यानी बाहरी सुरक्षा राज्य पुलिस संभालती है. इसके अलावा पूरे परिसर में 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है. सभी फुटेज कंट्रोल रूम में अधिकारियों और उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों को लगातार दिखाई जाती है. कौन करता है निगरानी और किसके पास होती है स्ट्रांग रूम की चाबी? स्ट्रांग रूम की निगरानी की जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारी यानी डीईओ पर होती है. उनके साथ चुनाव पर्यवेक्षक और वरिष्ठ अधिकारी लगातार निरीक्षण करते हैं. हर आने जाने वाले का नाम, समय और उद्देश्य रजिस्टर में दर्ज किया जाता है. इसके अलावा प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि सीसीटीवी के माध्यम से मशीनों पर नजर रख सकते हैं. वहीं स्ट्रांग रूम को डबल लॉक सिस्टम से सील किया जाता है. एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर के पास होती है और दूसरी असिस्टेंट ऑफिसर के पास होती है. स्ट्रांग रूम सील करते वक्त सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर मौजूद रहते हैं. राजनीतिक दलों को अपने प्रतीक की सील भी लगाने की अनुमति होती है, जिसके लिए उन्हें लिखित आवेदन देना होता है. कब खोला जाता है स्ट्रांग रूम? आमतौर पर स्ट्रांग रूम मतगणना वाले दिन खोला जाता है. ऐसे में कल यानी 14 नवंबर की सुबह 7 बजे बिहार में भी सभी स्ट्रांग रूम को खोला जाएगा. वहीं स्ट्रांग रूम का दरवाजा सभी प्रत्याशियों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही खोला जाता है. इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है. इसके बाद मशीनों को काउंटिंग हाॅल तक ले जाया जाता है और वहां उसकी सील और यूनिक आईडी की जांच की जाती है.
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