Bihar Election Result 2025: बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह ने मोकामा सीट पर सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को 28,206 वोटों से मात दी. उनकी जीत ऐसे समय में हुई है जब वे दुलारचंद यादव की कथित हत्या के आरोप में जेल में बंद है. जिस तरफ उनके समर्थक जश्न मना रहे हैं वहीं बिहार की राजनीतिक चर्चा में एक बड़ा सवाल छाया हुआ है कि क्या अनंत सिंह जेल से ही पद की शपथ ले सकते हैं या फिर नहीं.
क्या कहता है कानून
चुनाव जीतने से अनंत सिंह को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए जेल से बाहर आने का अधिकार खुद ब खुद नहीं मिल जाता. अब क्योंकि वे न्यायिक हिरासत में है इस वजह से वे अदालत की अनुमति मिलने पर ही जेल से बाहर आ सकते हैं. बिना न्यायिक आदेश के निर्वाचित प्रतिनिधि भी संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जेल से बाहर नहीं आ सकते. अब अनंत सिंह शपथ ग्रहण कर पाते हैं, विधानसभा में उपस्थित हो पाते हैं और विधायक के रूप में काम कर पाते हैं यह सब कुछ पूरी तरह से अदालत के फैसले पर निर्भर करता है.
क्यों है यह स्थिति जटिल
दरअसल अनंत सिंह की गिरफ्तारी काफी नाजुक समय पर हुई है. जिस कथित हत्या के मामले में वे वर्तमान में जेल में है उसमें पुलिस ने अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है. जब तक ऐसा नहीं हो जाता उनकी जमानत मिलने की संभावना थोड़ी कम है. जब तक पुलिस यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेती तब तक अदालतें भी आमतौर पर हत्या जैसे गंभीर मामलों में जमानत देने से बचती हैं.
शपथ ग्रहण के लिए अस्थायी राहत
अदालतें कभी-कभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ लेने के लिए एक अस्थायी जमानत या फिर कस्टडी पैरोल दे देती हैं. लेकिन यह कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह पूरी तरह से अदालत के विवेक पर निर्भर करता है. न्यायाधीश द्वारा आरोपों की गंभीरता, गवाहों से छेड़छाड़ की संभावना और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए जोखिम पर विचार किया जाता है. अगर अनुमति मिल भी जाती है तो ऐसी राहत अक्सर प्रतिबंधों के साथ आती है और शपथ लेने के तुरंत बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस जेल लौटना पड़ता है.
विधायक के रूप में उनकी भूमिका
अनंत सिंह पद की शपथ लेने और जमानत मिलने के बाद ही विधानसभा सत्र में भाग ले सकते हैं. बिना जमानत के वे विधानसभा की किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते. अगर उन्हें अस्थायी राहत के साथ शपथ लेने की अनुमति मिल भी जाती है तो भी वे विधायक के रूप में तब तक काम नहीं कर सकते जब तक कि वे कानूनी रूप से सत्र में भाग लेने के लिए स्वतंत्र ना हो.
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