Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों के बीच केंद्रीय मंत्री व जनता दल यूनाइटेड के नेता ललन सिंह की मुश्किलें रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं. चुनाव आयोग ने उन्हें आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का नोटिस जारी किया है. इसी के साथ आयोग द्वारा ललन सिंह को नोटिस का जवाब देने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया है. दरअसल मोकामा में अनंत सिंह के लिए प्रचार कर रहे ललन सिंह को कथित तौर पर एक वीडियो में यह कहते हुए सुना जा रहा है कि 'एक आध ठो नेता हैं, वोटिंग के दिन उन्हें घर से निकलने नहीं देना है. घर में पैक कर देना है, अगर ज्यादा हाथ पैर जोड़ेंगे, तो अपने साथ ले जाकर वोट गिराने देना है.' इसी बीच आइए जानते हैं कि ऐसे मामले में चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है.
आचार संहिता का उल्लंघन
चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्रता और निष्पक्ष चुनाव को सुनिश्चित करने के लिए आचार संहिता को लागू किया जाता है. मतदाताओं को धमकाने, प्रभावित करने या फिर उन पर दबाव डालने की कोई भी कोशिश आचार संहिता के तहत एक भ्रष्ट आचरण मानी जाती है. ऐसे मामले में चुनाव आयोग सबसे पहले आरोपी नेता या फिर उम्मीदवार से स्पष्टीकरण मांगता है और एक नोटिस जारी करता है. यदि उम्मीदवार या फिर आरोपी नेता द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो चुनाव आयोग अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है. इसी के साथ आयोग चेतावनी भी जारी कर सकता है, प्रचार पर प्रतिबंध लगा सकता है, या फिर गंभीर मामलों में कदाचार के दोषी पाए गए उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर सकता है.
भारतीय न्याय संहिता के प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता के तहत मतदाताओं को धमकाना एक आपराधिक अपराध है. इसमें भारतीय नया संहिता की धारा 174 अनुचित प्रभाव को दर्शाती है और धारा 351 आपराधिक धमकी को वर्गीकृत करती है. धारा 174 के तहत जो कोई भी चुनाव में अनुचित प्रभाव डालता है या फिर प्रतिरूपण करता है उसे 1 साल तक की कैद, या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है. इसी के साथ धारा 351 में यदि धमकी किसी व्यक्ति के शरीर, प्रतिष्ठा या फिर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की है तो इसके लिए 2 साल तक की कैद, जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है. अगर यह धमकी काफी गंभीर है, जैसे की मृत्यु या फिर गंभीर चोट पहुंचाना, तो यह सजा 7 साल तक की हो सकती है और जुर्माना भी बढ़ सकता है.
चुनाव आयोग की शक्तियां
भारतीय चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव की निष्पक्षता को मजबूत करने के लिए कई शक्तियां प्राप्त हैं. आयोग ऐसे मामलों में नेताओं को एक निश्चित अवधि के लिए प्रचार करने से प्रतिबंधित कर सकता है. इसी के साथ अगर धमकी की सूचना मिलती है तो प्रभावित मतदान केंद्रों में मतदान निलंबित या फिर रद्द किया जा सकता है.
अगर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कोई भी गैर कानूनी तरीके का इस्तेमाल करते हुए दोषी पाया जाता है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की जा सकती है. इसी के साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव और मतदाताओं को डराने धमकाने जैसे भ्रष्ट आचरण को साफ तौर से परिभाषित करता है. ये अपराध काफी ज्यादा गंभीर हैं, जिनकी वजह से न केवल अयोग्यता होती है बल्कि आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है.
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