Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू कर दी जाएगी. इसमें मतदाताओं को प्रभावित करने में धन के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए नकदी के संचालन पर कड़े नियम लगाए जाते हैं. काले धन पर रोक लगाने और पारदर्शिता रखने के लिए उम्मीदवार और आम जनता के लिए नकदी रखने की एक सीमा तय की जाती है. आइए जानते हैं क्या है यह सीमा.

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नकदी रखने की सीमा 

आपको बता दें कि आचार संहिता लागू होने के बाद घर में नकद रखने की कोई तय सीमा नहीं है. लेकिन नकद ले जाने की सीमाएं हैं. चुनाव के दौरान व्यक्तियों को बिना किसी दस्तावेज के ₹50,000 तक कैश ले जाने की इजाजत है. ₹50,000 से ज्यादा कैश ले जाने वालों को तीन जरूरी दस्तावेज दिखाने होंगे. एक वैध फोटो पहचान पत्र, कैश के स्रोत का प्रमाण (बैंक स्लिप या मोबाइल बैंक मैसेज), नकदी कहां खर्च करने के लिए ले जाई जा रही है इसका प्रमाण.

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यदि कैश ₹50000 से ज्यादा है और ले जाने वाला व्यक्ति दस्तावेज या फिर कैश किस इस्तेमाल के लिए ले जाया जा रहा है इसका प्रमाण नहीं देता तो नकदी को जब्त किया जा सकता है. हालांकि दस्तावेज दिखाने के बाद धनराशि वापस मिल जाएगी, बस उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. अगर सत्यापन सफल नहीं होता है तो चुनाव आयोग उस नकदी को जब्त कर सकता है और कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. 

निगरानी और उपाय 

इन नियमों को लागू करने के लिए जिला स्तर पर 20 एनफोर्समेंट एजेंसीज तैनात की गई है साथ ही सीमाओं पर 32 चौकियां भी हैं. इसी के साथ एटीएम कैश वैन और बैंक कैश डिलीवरी पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है. 

किन चीजों पर है छूट 

शादी, चिकित्सा आपात स्थिति या फिर व्यावसायिक लेनदेन के लिए नकदी को ले जाने की पूरी अनुमति है. ऐसे समय में अगर उचित दस्तावेज हैं तब तक कोई भी जब्ती का डर नहीं होता, भले ही राशि 50,000 से ज्यादा हो. 10 लाख से ज्यादा की नकदी के लिए मामले आयकर विभाग को भेजे जाते हैं. जहां चौकियों, सड़कों, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों पर कड़ी जांच की जाती है।

कैसे की जाती है जांच

चुनाव आयोग प्रशासनिक टीमों के साथ मिलकर कैश की आवाजाही पर पूरी नजर रखता है. यदि जरूरी दस्तावेज सही है तो कैश तुरंत वापस कर दिया जाता है. यदि दस्तावेज सत्यापन के लिए सही नहीं है तो कैश को अस्थायी रूप से जब्त किया जा सकता है. इसी के साथ कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है.

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