Bihar Assembly Election 2025: बिहार में आज पहले चरण की वोटिंग पूरी हो गई है. कई इलाकों में लोगों ने भारी उत्साह के साथ मतदान किया, कुछ जगहों पर लंबी कतारें लगीं, तो कहीं बूथों पर सन्नाटा रहा, लेकिन एक बात जिसने सभी का ध्यान खींचा, वो यह कि जिन इलाकों में अब भी बिजली की सुविधा पूरी तरह नहीं है, वहां वोटिंग कैसे कराई जाती है. क्या ईवीएम बिना बिजली के भी चल सकती है, या फिर उन इलाकों में बैलेट पेपर से मतदान कराया जाता है. चलिए जानें.

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कौन बनाता है ईवीएम

यह सवाल हर चुनाव के वक्त उठता है. लेकिन सच्चाई यह है कि EVM को चलने के लिए बिजली की जरूरत ही नहीं होती है. यह मशीन भारतीय इंजीनियरिंग की एक ऐसी मिसाल है, जिसने तकनीक और सरलता दोनों को साथ जोड़ा है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), ये दो सरकारी संस्थान हैं जो देशभर में उपयोग होने वाली सभी EVM बनाती हैं.

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क्या बिना बिजली के भी काम करती है ईवीएम

इन मशीनों को 7.5 वोल्ट के एक विशेष एल्काइन पावर-पैक से चलाया जाता है, जिसमें 1.5 वोल्ट के पांच साधारण AA सेल लगे होते हैं. ये सेल्स बिल्कुल वैसे ही होते हैं जैसे आप टीवी रिमोट या वॉल क्लॉक में इस्तेमाल करते हैं, फर्क बस इतना है कि EVM में इन्हें खास तरीके से जोड़ा जाता है ताकि पूरी मशीन कई घंटों तक बिना रुकावट चल सके.

यही वजह है कि बिहार जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में, जहां अब भी बिजली कटौती आम बात है, वहां भी वोटिंग पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से होती है, बैलट पेपर से नहीं. EVM इस तरह डिजाइन की गई है कि यह किसी भी स्थिति में भरोसेमंद तरीके से काम करे, चाहे वह पहाड़ी इलाका हो, बिजलीविहीन गांव या फिर गर्मी से तपता मैदान. 

हर चुनाव से पहले होती है टेस्टिंग

भारत के चुनाव आयोग ने बताया है कि हर EVM का ट्रायल मतदान से पहले किया जाता है. मशीनों को मॉक पोल के जरिए टेस्ट किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई तकनीकी दिक्कत न आए. अगर कहीं मशीन खराब भी हो जाए, तो रिजर्व EVM तुरंत पहुंचाई जाती है.

पूरी तरह से सुरक्षित है ईवीएम

कुछ आलोचकों ने बैलेट पेपर वापसी की बात की थी, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि EVM ने न सिर्फ समय और संसाधन बचाए हैं, बल्कि परिणामों की सटीकता भी बढ़ाई है. चुनाव आयोग हर बार यह दोहराता है कि ये मशीनें पूरी तरह स्वतंत्र, सुरक्षित और टैम्पर-प्रूफ हैं, क्योंकि ये इंटरनेट या किसी बाहरी नेटवर्क से जुड़ी नहीं होतीं हैं.

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