Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुका है. राजनीतिक रैलियों और प्रचार अभियान के बीच एक आम सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली का कोई पंजीकृत मतदाता हरियाणा या महाराष्ट्र जैसे किसी दूसरे राज्य से लोकसभा चुनाव लड़ सकता है या नहीं. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब और क्या हैं नियम.
किसी दूसरे राज्य से चुनाव लड़ने का कानूनी आधार
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 4(सी), 4 (सीसी) और 4(सीसीसी) के तहत भारत भर में चुनाव लड़ने का अधिकार मिलता है, फिर चाहे आप मतदाता के रूप में कहीं भी पंजीकृत हो. यह धाराएं संसद सदस्य बनने के लिए जरूरी योग्यता निर्धारित करती हैं. कानून के मुताबिक भारत में कहीं भी पंजीकृत मतदाता होने वाला नागरिक किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए नामांकन को दाखिल कर सकता है. हालांकि राज्य विधानसभा चुनावों के लिए नियम थोड़े अलग हैं.
लोकसभा चुनाव लड़ने की पात्रता
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है. उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए, नामांकन पत्र दाखिल करते समय उसकी आयु कम से कम 25 साल होनी चाहिए, इसी के साथ वह किसी भी भारतीय निर्वाचन क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए. आपको बता दें कि मतदाता का उसी निर्वाचन क्षेत्र या फिर राज्य से संबंधित होना जरूरी नहीं है जहां से वह चुनाव लड़ रहा है.
कोई भी उम्मीदवार किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के सदस्य के रूप में या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़ा हो सकता है. हालांकि स्वतंत्र उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के जरूरी संख्या में मतदाताओं द्वारा समर्थित नामांकन पत्र को प्रस्तुत करना होता है.
राज्य विधानसभा चुनाव लड़ना
राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नियम अलग हैं. इसके लिए व्यक्ति को इस राज्य का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए जहां से वह चुनाव लड़ना चाहता है.
चुनाव लड़ने की अयोग्यताएं
वैसे तो चुनाव लड़ने का अधिकार एक संवैधानिक विशेष अधिकार है लेकिन कुछ अयोग्यताएं किसी व्यक्ति को इसका इस्तेमाल करने से रोक सकती हैं. किसी सक्षम न्यायालय द्वारा मानसिक रूप से बीमार घोषित किया गया कोई भी व्यक्ति या फिर बिना दोष मुक्त दिवालिया व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता. इसी तरह जिन व्यक्तियों ने अपनी इच्छा से विदेशी नागरिकता को प्राप्त कर लिया है या फिर सरकार के अधीन लाभ का पद धारण किया है वह भी चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं हैं.
इसी के साथ आपराधिक अपराधों में दोषी ठहराए गए और 2 साल या फिर से ज्यादा के कारावास की सजा पाए गए उम्मीदवारों को उनकी रिहाई के बाद 6 सालों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.
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