Bangladesh Crisis: बांग्लादेश इस समय राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव के तौर से गुजर रहा है. शेख हसीना के हटने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद न सिर्फ शासन बल्कि राज्य संस्थानों में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं. इसी बीच एक सवाल उठ रहा है कि क्या हिंदू बांग्लादेश सेना में शामिल हो सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.
क्या धर्म बांग्लादेश सेना में शामिल होने में बाधा है
कानूनी और आधिकारिक तौर पर धर्म बांग्लादेश सेना में शामिल होने में कोई बाधा नहीं है. बांग्लादेश की भर्ती नियमों और संवैधानिक ढांचे के मुताबिक कोई भी नागरिक चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो या बौद्ध या ईसाई हो, सैनिक और अधिकारी दोनों पदों के लिए आवेदन कर सकता है. चयन प्रक्रिया राष्ट्रीयता, उम्र, शिक्षा, शारीरिक फिटनेस और मेडिकल मानकों पर आधारित होती है ना कि किसी धार्मिक पहचान पर.
भर्ती नियम और पात्रता मानदंड
बांग्लादेश सेना में शामिल होने के लिए, उम्मीदवार का जन्म से बांग्लादेशी नागरिक होना जरूरी है. कमीशन अधिकारी पदों के लिए, उम्मीदवारों को आवेदन के समय अविवाहित होना चाहिए. इसी के साथ जरूरी शैक्षिक मानदंडों को पूरा करना चाहिए. इतना ही नहीं बल्कि सैनिक स्तर की भर्ती के लिए सामान्य आयु सीमा आमतौर पर 17 से 20 वर्ष के बीच रखी गई है. पारदर्शिता की कमी की वजह से सटीक संख्या तक पहुंचना काफी मुश्किल है.
वर्तमान में सेना में कितने हिंदू सैनिक है
आपको बता दें कि बांग्लादेश की सेना अपने कर्मियों का धर्म वार डेटा प्रकाशित नहीं करती है. ऐसा कोई भी आधिकारिक आंकड़ा नहीं है जो बताता हो कि कितने हिंदुस्तानी या अधिकारी सेवा कर रहे हैं. 2022 की जनगणना के मुताबिक बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की संख्या लगभग 7.9-8% थी. अनौपचारिक अनुमानों से ऐसा पता चलता है की सेना में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व लगभग 3 से 4% हो सकता है. बांग्लादेशी सेना हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के लिए खुली है. संवैधानिक रूप से यहां कोई भी भेदभाव नहीं है. हालांकि कम भागीदारी, पब्लिक डेटा की कमी और मौजूदा नाजुक राजनीतिक माहौल ने शक को जिंदा रखा हुआ है. हालांकि हिंदू सेना में काम कर सकते हैं और करते भी हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी सीमित है.
ये भी पढ़ें: 500 करोड़ के क्लब में शामिल हुई रणबीर सिंह की धुरंधर, इस कमाई पर कितना टैक्स वसूलेगी सरकार?