राम नगरी यानी अयोध्या में प्रभु श्रीराम का 'घर' बसाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. अब बस इंतजार उस दिन का है, जब यहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यूं कह लीजिए कि अयोध्या में इस बार जनवरी की 22 को दिवाली मनेगी. क्या आपको पता है कि रामलला के इस 'घर' को बसाने के लिए कहीं से माटी मंगाई गई तो कहीं से पत्थर? अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं किन-किन राज्यों और देशों से आए खास सामान से राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है.

राजस्थान से आया पिंक स्टोन और मार्बल

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में पिंक स्टोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे मंदिर परिसर में बनने वाले म्यूजियम, रिसर्च सेंटर, गौशाला और यज्ञशाला आदि को तैयार किया जा रहा रहा है. जानकारों की मानें तो यह पत्थर राजस्थान के बंशी पहाड़पुर से मंगाया गया है. मंदिर से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बंशी पहाड़पुर से चार लाख क्यूबिक फीट स्टोन मंगाया गया है. इसके अलावा मंदिर का परकोटा जोधपुर स्टोन से बनाया जाएगा. साथ ही, राजस्थान का मार्बल भी मंदिर बनाने में इस्तेमाल हो रहा है.

कर्नाटक से मंगाई गई विशाल चट्टान

कर्नाटक के ककराला से एक विशाल चट्टान अयोध्या भेजी गई है. कहा जा रहा है कि इस चट्टान का इस्तेमाल भगवान राम की प्रतिमा को बनाने में किया जा रहा है. यह चट्टान तुंगभद्रा नदी के किनारे से ली गई है.

नेपाल से आया शालीग्राम पत्थर

अयोध्या में भगवान राम और माता जानकी की प्रतिमाओं के निर्माण के लिए नेपाल से शालीग्राम के पत्थर मंगाए गए हैं. 31 टन और 15 टन के इन दो पत्थरों पर काफी काम किया जा चुका है. ये पत्थर नेपाल की गंडकी नदी के किनारे से निकाले गए हैं. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, शालीग्राम पत्थर भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है.

महाराष्ट्र की टीक वुड

राम मंदिर के दरवाजों का फ्रेम मार्बल से तैयार किया गया है, जबकि दरवाजे टीक वुड से बनाए गए हैं. बता दें कि टीक वुड को महाराष्ट्र से मंगाया गया है. इन दरवाजों पर नक्काशी का काम भी किया जा रहा है.

पांच लाख गांवों से आईं ईंटें

राम मंदिर की मजबूती के लिए नींव में ग्रेनाइट से बेस बनाया गया है. इसमें 17 हजार ग्रेनाइट स्टोन इस्तेमाल किए गए हैं. इनमें हर स्टोन का वजन करीब दो टन है. वहीं, मंदिर में इस्तेमाल की गईं ईंटें देशभर के करीब पांच लाख गांवों से आई हैं.

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