Aeroplane And Pollution: अगर वायु प्रदूषण की बात की जाए तो कोई इसके लिए वाहनों और अन्य चीजों से निकलने वाले धुएं को जिम्मेदार बताएगा, कोई एसी और फ्रिज से निकलने वाली गैसों को तो कोई पेड़ों की कटाई को. हालांकि, यह सभी कारण सही भी हैं. वायु प्रदूषण बढ़ाने में जमीन पर चलने वाले परिवहन के साथ-साथ एयर ट्रैफिक भी जिम्मेदार है. शायद ही आपने कभी सोचा होगा कि हवाई जहाज से भी प्रदूषण होता है. लेकिन, ऐसा होता है.


प्लेन से बनने वाले कंट्रेल्स बनाते हैं एक परत


उड़ान के दौरान प्लेन का ईंधन जलने पर बनने वाले कॉन्‍ट्रेल्‍स में केरोसीन होता है. करीब 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर तापमान कम होने की वजह से ये घंटों तक हवा में बर्फ के क्रिस्‍टल्‍स के रूप में बने रहते हैं. ग्रीनहाउस गैसों की तरह ही ये कंट्रेल्स भी वायुमंडल में गर्मी को रोक लेते हैं. कुछ शोधों के अनुसार तो ये कॉन्‍ट्रेल्‍स कार्बन डाइऑक्‍साइड की तुलना में 1.7 गुना ज्‍यादा खतरनाक होते हैं. इससे साफ है कि एयर ट्रैफिक का जलवायु पर बुरा असर पड़ता है.


ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन में हिस्सेदारी


जिस तरह बाकी वाहनों से वायुप्रदूषण होता है और ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ता है. उसी तरह एयर ट्रैफिक से भी ग्रीन हाउस गैसों में इजाफा होता है. साल 2020 की बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना महामारी से पहले तक एविएशन सेक्‍टर का दुनिया में कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन का 6 फीसदी हिस्सा था. हालांकि, कोरोना काल में जब बहुत सारी फ्लाइट्स रद्द हुई, तो इसमें कमी देखने को मिली थी. लेकिन, अब जब हालात सामान्य होते जा रहे हैं, इसमें फिर से इजाफा हो रहा है. यूरोपीय पार्लियामेंट ने ऐलान भी किया है कि 2025 से एयर ट्रैवल पर एनवायरमेंटल लेबल लगाकर यात्रियों को उनकी फ्लाइट्स के कार्बन फुटप्रिंट की जानकारी दी जाएगी.


क्या है उपाय?


अब सवाल है कि प्लेन से निकलने वाले कॉन्‍ट्रेल्‍स को बनने से कैसे रोका जा सकता है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए प्लेन को करीब 1000 मीटर नीचे उड़ाना होगा. दरअसल, इस ऊंचाई पर तापमान अपेक्षाकृत कम होता है. साथ ही फ्लाइट्स ऐसे रूट्स से जा सकती हैं, जहां का मौसम कॉन्‍ट्रेल्‍स बनने में मदद न करे. ऐसे रूट्स की जानकारी ढूंढने के लिए सैटेलाइट से मदद ली जा सकती है. इससे ग्‍लोबल वार्मिंग के लिए जिम्‍मेदार चीजों में 30 से 80 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है. इसके अलावा, बायोकेरोसीन भी एक विकल्प है.


यह भी पढ़ें - ये है दुनिया की सबसे महंगी आइसक्रीम, इसे खाने से पहले तो अमीर भी सौ बार सोचेगा!